चारण साहित्य का इतिहास – छटा अध्याय – आधुनिक काल (प्रथम उत्थान) – [Part-C]
५. श्रंगारिक काव्य:- आलोच्य काल में केवल वांकीदास एवं मानजी ही ऐसे कवि हुए हैं जिनमें श्रंगार की प्रवृत्ति पाई जाती है। इस दृष्टि से वांकीदास कृत ‘झमाल राधिका सिख नख वर्णन’ एवं ‘हेमरोट छत्तीसी’ नामक रचनायें उल्लेखनीय हैं। नायक-नायिका के नख-शिख वर्णन करने की पद्धति पुरातन काल से ही चली आ रही है किन्तु इसे स्वतन्त्र विषय बनाने का श्रेय वांकीदास को ही है। कवि ने यत्र-तत्र अलौकिकता का पुट अवश्य दिया है किन्तु चित्र लौकिक ही हैँ। पूज्य भावना के अभाव में राधा तो सामान्य नायिका के स्तर पर उतर आई है। उपमान रूढ़िगत भी है और नवीन […]
» Read more