पांडव यशेन्दु चन्द्रिका – पंचम मयूख
पंचम मयूख सभा पर्व वैशंपायन उवाच दोहा मयदानव नृप धर्म की, नीके आयस पाय। सभा चतुर्दश मास में, रचिकै दई बताय।।१।। ता रक्षक अँतरिक्षचर, राक्षस अष्ट हजार। दस हजार कर मध्य तैं, चारों तरफ प्रचार।।२।। वैशंपायन मुनि कहने लगे कि हे राजा जन्मेजय! सुनो मयदानव ने राजा युधिष्ठिर से आज्ञा ले कर चौदह महिनों में (विपरीत) सभा का निर्माण कर दिखाया। जिसकी रक्षा का भार आकाश में उड़ने वाले आठ हजार राक्षसों पर था। इस सभा का चारों ओर का विस्तार दस हजार हाथ (गज का नाप) था। सभा रचना पद्धरी छंद नानात्व जलाशय विटप तत्र, चहुँ खान जीव साक्षात […]
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