आज से लगभग अस्सी नब्बे वर्ष पहले एक महान संत जयपुर के आसपास विद्यमान थे, जो गूदड़ीवाले बाबा के नाम से जाने जाते थे। उनका नाम गणेशदासजी था। वह दादूपंथी महात्मा थे। उस समय में जयपुर के प्रसिध्द गणमान्य लोगौं में बाबा की बड़ी मान्यता व स्वीकार्यता थी, तथा बाबा भी बड़े त्यागी-तपस्वी मनीषी थे। उस समय के संस्कृत के उद्भट विद्वान पं.वीरेश्वरजी शास्त्री ने बाबा का स्तवन इस प्रकार किया था:
निर्द्वंन्द्वो निःस्पृहः शान्तो गणेशः साधुतल्लजः
सानन्दः सर्वदा कन्थाकौपीनामात्रसंग्रहः
अर्थातः बाबा गणेशदास कैसे है निर्द्वन्द्व अर्थात ब्रह्मैक्यभाव-प्राप्त, सुख दुःखादि रहित व किसी प्रकार की इच्छामुक्त, शान्त वृति के साधुजनो में परमश्रेष्ठ व ब्रह्मानन्द में मगन रहते हैं व मात्र[…]
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