Bhagwati Shri Karniji Maharaj – A Biography – Part-1

Introduction Religion has profoundly influenced the Indian mind of all ages. Hindus have since time immemorial visualized the Supreme, Omnipotent, power as Shiva and Shakti. Shaivs worship the Universal Power as Shiva while adherents of the Shakti cult are called Shaktas, A Shakta obtains from Shakti the same affection, nourishment, and wish-fulfillment as a person gets from his mother. The Shakta, therefore, visualizes and worships the Supreme power as Mother. On the authority of the Puranas and other holy texts, it can be said that Shakti has appeared in a human form whenever impiety exceeded limits and the world was […]

» Read more

Bhagwati Shri Karniji Maharaj – A Biography – Kr. Kailash Dan S. Ujwal I.A.S.

स्वीकृति शुभ समपै सगत, आ उर अंगे आस,
थारी पोथी माँ थने, करै नजर कैलास।।१
पूज्य मात तव प्रेरणा, अंतर हुवो उजास,
अरपै पोथी आपने, कर जौड़्यों कैलास।।२

Kailashdan Shiva Datta Ujjwal (IAS)[…]

» Read more

स्वातंत्र्य राजसूय यज्ञ में बारहठ परिवार की महान आहूति(2) – ओंकार सिंह लखावत

स्वतंत्रता की बलिवेदी पर अपने आपको न्यौछावर कर देने वाले क्रांतिकारियों, शहीदों एवं देशभक्तों से सम्पूर्ण स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास सुशोभित है, किंतु खुद के साथ पूरे परिवार को न्यौछावर करने वाले राष्ट्र गौरव केसरी सिंह ही थे, जिन्होंने अपने अनुज जोरावर सिंह बारहठ एवं पुत्र प्रताप सिंह बारहठ को इस महान राष्ट्रीय यज्ञ में समर्पित कर दिया। इस वीर शिरोमणी त्रिमूर्ति को शत्-शत् नमन।

» Read more

कोटा मे क्रांति के सूत्रधार कविराजा दुर्गादान

‘मैं देश सेवा को अति उत्कृष्ट आदरणीय मनुष्य धर्म समझता हूं’, इन शब्दों में स्वतंत्रता की अमिट लालसा तो थी ही, साथ ही पराधीनता के दौर में औपनिवेशिक सरकार को दी गई चुनौती की एक लिखित स्वीकारोक्ति भी थी, जो रियासतयुगीन कोटा के प्रमुख जागीरदार कविराजा दुर्गादानजी द्वारा 20 दिसंबर 1920 ई. को कोटा रियासत के दीवान ओंकारसिंहजी को प्रेषित एक पत्र में उल्लेखित थी। वास्तव में 1920 ई. का दशक स्वतंत्रता संग्राम के एक लोमहर्षक युग का प्रवर्तक था। जब रोलेट एक्ट द्वारा क्रांतिकारियों पर दमनचक्र के आर्तनाद की छाया में महात्मा गांधी के आंदोंलनों की शुरुआत थी, वहीं रिवोल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी पंडित चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में बंगला क्रांतिकारी वीरेंद्र घोष के मार्ग निर्देशन में शक्ति प्रदर्शन से ब्रिटिश साम्राज्यवाद पर संघात कर रही थी।[…]

» Read more

ईश्वर से प्रश्न पूछने के साहसी भक्ति कवि ईसरदास. . .। – तेजस मुंगेरिया

…इसी भक्ति काव्य की डिंगल़ काव्य परम्परा में ईसरदास भादरेश का नाम अग्रगण्य है। ईसरदास के भक्ति काव्य में समन्वय का महान् सूत्र समाहित है जो तुलसीदास के समन्वय से भी व्यापक व विशाल है। यहाँ इन दो कवियों के काव्य में तुलना करना इसलिए समीचीन है क्योंकि अक्सर तुलसी के संबंध में हजारीप्रसाद द्विवेदी के समन्वय विषयक तथ्य को चटकारे लेकर सुनाया जाता है जबकि ईसरदास के काव्य में शामिल नाथपंथी प्रभाव तथा एक ही ग्रंथ (हरिरस) में निर्गुण तथा सगुण का समान रूप से पोषण तथा सबसे अलहदा बात कि मातृ काव्य (देवियाँण) तथा वीर काव्य (हाला झाला रा कुण्डलिया) का तुलसी के काव्य में सर्वथा अभाव है।…

» Read more

चारणों के गाँव – शोभावास

ग्राम शोभावास, तहसील देसूरी जिला पाली में स्थित महिया शाखा का गाँव है जिसका ताम्रपत्र संवत १६०१ फाल्गुन कृष्णा १२ शुक्रवार को महाराणा उदयसिंह द्वारा सीहा जी को दिया गया। ताम्रपत्र की छाया प्रति तथा उसका टेक्स्ट यहाँ दिया जा रहा है। बड़ी इमेज देखने के लिए निम्न इमेज पर क्लिक करें।[…]

» Read more

जगदंबा स्तवन – कवि वजमालजी मेहडू

।।गीत चितइलोल़।।

पाताळ सातूं परठ पीठे,
कमठ धारण कोल।
इक्कीस व्रहमंड किया उभा,
भ्रगट मांही भूगोल।
तो हिंगोळ जी हिंगोळ, हरणी संकट भव हिंगोळ।।1[…]

» Read more

चारणों के गाँव – मिरगेसर (मृगेश्वर)

महाराणा प्रताप द्वारा प्रदत्त प्रस्तुत ताम्रपत्र मुंशी देवीप्रसाद हो प्राप्त हुआ था। जिसको उन्होने सरस्वती, भाग १८ पृष्ठ ९५-९८ पर प्रकाशित करवाया। ताम्रपत्र में कुल ७ पंक्तियां हैं। ताम्रपत्र से ज्ञात होता है कि महाराणा प्रताप के आदेश से, भामाशाह द्वारा कान्हा नामक चारण को फाल्गुन शुक्ला ५ संवत् १६३९ को मीरघेसर (मृगेश्वर) नाम ग्राम प्रदान किया गया था।

» Read more

दुर्गादास राठौड़ रो गीत तेजसी खिड़िया रो कहियो

असपत नूं लिखै नवाब इनायत, दाव घाव कर थाकौ दौड़।
मारूधरा मांहै मुगलां नूं, ठौड़ ठौड़ मारै राठौड़।।

कारीगरी न लागै कांई, घाव पेच कर दीठा घात।
किलमां नूं मारता न संकै, मरवि सूं न डरै तिलमात।।[…]

» Read more

काल कवि – डॉ. रेवंत दान बारहट

समय के महासमर में
मैंने शाश्वत शब्दघोष किया है
शब्द मेरे शस्त्र रहे हैं
शब्द शक्तियां आत्मसंयम रही हैं
मैं सनातन साक्षी हूं
असंख्य सभ्यताओं
संस्कृतियों की श्रृंखलाओं
शक्तिशाली सत्ताओं का,[…]
» Read more
1 5 6 7 8 9 55