ગઝલ- સુખનવર સંગે ગઝલ છે.

કેટલું સુંદર યુગલ છે.
સુખનવર સંગે ગઝલ છે.
આપની યાદો થી નભનાં,
વાદળા સઘળા સજલ છે.
જો તમે હો સાથ માં તો,
જિંદગી મારી સફળ છે.
આંગણે મહોર્યો છે આંબો,
લાગણી નાં મીઠા ફળ છે.[…]
Charan Community Portal
કેટલું સુંદર યુગલ છે.
સુખનવર સંગે ગઝલ છે.
આપની યાદો થી નભનાં,
વાદળા સઘળા સજલ છે.
જો તમે હો સાથ માં તો,
જિંદગી મારી સફળ છે.
આંગણે મહોર્યો છે આંબો,
લાગણી નાં મીઠા ફળ છે.[…]
રસ ભરી વાતો ગઝલ માં હોય છે.
સ્નેહ નો નાતો ગઝલ માં હોય છે.
ચાંદ, તારા, ફૂલ, ઝાકળ થી સભર,
મેઘલી રાતો ગઝલ માં હોય છે.
સૂર, તુલસીદાસ, નરસી મય બની,
આતમો ગાતો ગઝલ માં હોય છે.
હા !વલોणुं થાય ઘમ્મર ગામડે
એવી પરભાતો ગઝલ માં હોય છે.[…]
बसंत का हमारे देश में बडा ही महत्व है। बसंत रूत में प्रकृति नवपल्लवित हो उठती है। रंग बिरंगे फूलों से वातावरण मादक हो जाता है। किंशुक, पलाश के लाल फूल पहाडियों पर बडे ही मन भावन लगते है। ऐसा लगता है जैसे किसी ने प्रकृति को गेरूए रंग में रंग दिया हो। बसंत पंचमी से होली तक लगातार बसंतोत्सव मनाया जाता है। फागुन तक अनवरत चलता यह महोत्सव भारतीयों के जीवन में घुल मिल गया है।
बसंतोत्सव मनाने के संदर्भ हमें संस्कृत साहित्य से लेकर राजस्थानी की प्राचीन कविताओं में मिलते है। मृच्छकटिकम नाटक में एक गरीब ब्राह्मण चारुदत्त और एक गणिका बसंतसेना के प्रेम का वर्णन किया गया है। इसमें बसंतोत्सव का शानदार चित्रण नाटककार छुद्रक ने किया है। महाकवि कालिदास नें भी अपने काव्य ऋतुसंहार में अन्य ऋतुऔं के साथ साथ बसंत ऋतु का बडा ही अद्भुत वर्णन किया है।[…]
» Read moreसन्नाटे को चीर गज़ल।
बन जाती शमशीर गज़ल॥1
शायर ने क्या खुब सजाया,
लगती जैसे हीर गज़ल॥2
जन जन के मन की जाने है,
संवेदन की पीर गज़ल॥3
नटखट कवि कान्हा को मिलने,
राधा बनी अधीर गज़ल॥4
चित में बस छाई फगुनाई,
छिडकै सदा अबीर गज़ल।5[…]
🌺गुजराती के वरिष्ठ कवि आदरणीय संजु भाई वाल़ा की (दोहा ग़ज़ल) कविता का राजस्थानी भावानुवाद🌺
लाली मेरे लाल की, जित देखूं तित लाल।
नभ रे नेवां सू वहै, अनहद वसु पर व्हाल।।१
तल़ में रमती वीजल़ी, प्रगटेला अब हाल।
मूट्ठी में पकडे शिखा, खेंच’र काढूं खाल।।२
छानां छपनां डोकिया, घट सूं काढे व्याल।
ओल़ख जिण मुसकल घणी, ओल़खतां मन न्याल।।३
ऐ केडा दिन थें दिया, करूं कठे फरियाद।
घणा हलाडूं हाथ पण, बजै नहीं करताल।।४[…]
આવો જરાક આમ કહું વાત કાન માં!
અથ થી ઇતિ તમામ કહું વાત કાન માં!
ઉચ્ચૈશ્રવા ઉમંગ ના જે હણહણી રહ્યા,
તેને કરો લગામ કહું વાત કાન માં!
બાજુ ના ઘર માં કઇક તો નક્કી થયું જ છે,
ખખડી રહ્યાં છે ઠામ કહું વાત કાન માં!
સાવજ બની ને રોજ જે ડણકે છે ગર્વ થી,
તે ઘરમાં છે ગુલામ કહું વાત કાન માં![…]
धूड पर जाजम धरो री ढाल़ दूं।
बैठ बेली! दीप-तारक बाल़ दूं।।१
चांदणौ चमचम झरे है आभ सूं,
आव पुरसै हेत रौ रस थाल़ दूं।।२
बेलियों रे थाल़ भोजन लापसी,
वाडकी भर घी जिकण पर वाल़ दूं।३
घोडलां नें नाज पाणी खूब द्यूं,
सांढण्यां रे बांध घूंघरमाल़ दूं।४[…]
बात उण टेम री है जद म्हारी बाई (माताजी) आज सूं डेढ साल प्हैली अजुवाळी चवदस रा देशणोक म्हारै नानाणां सूं आप रा दूजा संगी साथी अर संबंधियों रे साथै देशणोक दरसण करवा रवाना हुवी। उण टेम म्है एक दूहौ मन में बणायौ के
ओरण माणस ऊमड्या, फेरी देवा काज।
आयी चवदस आपरी, मेहाई महराज।।
औ दूहौ बणियौ जद म्है औ सोचियौ के इण तरे रा चौथा चरण वाळा दोहा आज तांई किणी नी बणाया है। अर मौलिक चरण री वजह सूं अगर कोशिश करी जाय तो नामी फूटरा दूहा बण सके। इण रे बाद मां भगवती मेहाई री किरपा सूं एक पछै एक दुहा बणता गिया। म्है ऐ दुहा म्हारा सोसियल मिडिया रा ग्रुप “डिंगळ री डणकार” अर “थार थळी” मैं लगातार एक पछै एक पोस्ट करतौ रियौ।[…]
» Read moreपंडित!, फादर!, ग्यानी!, काज़ी!,
नुवे बरस री जै माताजी!१
रहो जीतता सदा बेलियाँ,
जीवन री चौसर री बाजी!!२
रेय आप रे खुशी खेलती,
करे कृपा घर करनल माजी!!३[…]
🌺गज़ल🌺
रैण अंधारी!
लागै खारी!
नैण आप रा,
तेज कटारी!
सूरत थारी,
पर बलिहारी!
संगत करल्यां,
आ कविता री![…]