बोल रबारी ! जै बाबा री

🍀ग़ज़ल🍀
मतकर ज्यादा थारी मारी,
बोल रबारी! जै बाबारी!
बाट बेव बस ह्वै अलगारी,
बोल रबारी! जै बाबारी!१
छाल़्यां थूं संभाल़ बावल़ा,
औ थारौ अणमोल खजानो,
हवल़ै. जा देतौ टीचकारी,
बोल रबारी जै बाबा री!२[…]
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🍀ग़ज़ल🍀
मतकर ज्यादा थारी मारी,
बोल रबारी! जै बाबारी!
बाट बेव बस ह्वै अलगारी,
बोल रबारी! जै बाबारी!१
छाल़्यां थूं संभाल़ बावल़ा,
औ थारौ अणमोल खजानो,
हवल़ै. जा देतौ टीचकारी,
बोल रबारी जै बाबा री!२[…]
🌺गज़ल🌺
चरागों का जब बोलबाला रहेगा।
सियह रात में भी उजाला रहेगा।।१
भरा हो,छलकता,अधूरा कि खाली,
नजर में सभी की वो प्याला रहेगा।२
भले आप धोलें उसे चांदनी में,
अँधेरा है काला तो काला रहेगा।।३[…]
🌺गज़ल🌺
बहुत मुमकिन गुलों पर वार होगा!
अगर उस शाख पर ना खार होगा!१
भरोसा ना-खुदा पर जो करे है,
उसी को डूबना मँझधार होगा!२
सफर को खूबसूरत मोड देने,
हुआ रूखसत वो आखिरकार होगा!३[…]
उसे फिर तोड डाला जा रहा है।
अंगारों पे उबाला जा रहा है।।१
गलाकर मौम की मानिन्द कुंदन,
नये जेवर में ढाला जा रहा है।।२
कोई रोको वो पतझड का पयंबर,
बिना ओढे दुशाला जा रहा है।।३
वो सच में सल्तनत का हुक्मरां है,
पे दरबां हुक्म टाला जा रहा है।।४[…]
🍀गज़ल🍀
सच है वो समंदर के अंदर नहीं गया है।
आँखों से खौफ का पर मंजर नहीं गया है।।
हाँ उसको मारने की, दी थीं सुपारियाँ पर,
कातिल ही वार करके खंजर नहीं गया है।।
सरसब्ज खेत आते हों राह अब भले ही,
यादों से वो पुराना, बंजर नहीं गया.है।[…]
आप से रोशन हुई राहें सभी चारों तरफ।
अब न भटकेगी मिरी आवारगी चारों तरफ॥
चांद, तारों, बादलों, फूलों, बहारों में जरा,
ढूंढले बिखरी पडी है शायरी चारों तरफ॥
कौन यह आया कि सहरां भी गुलिस्तां हो गया,
जिसकी आहट नें करी जादूगरी चारों तरफ॥[…]
साहिर लुधियानवी मेरे पसंदीदा शायर है। उनकी एक रचना की एक पंक्ति को आधार बनाकर मैंने भी एक नज्म लिखी थी। welcome 2000 इक्कीसवी सदी के स्वागत हेतु। साहिर की पंक्ति थी – “आओ कि कोई ख्वाब बुनें कल के वासते” उस पंक्ति के बाद की कल्पना मेरी है।
🌺welcome -2000🌺
आओ कि कोई ख्वाब बुनें कल के वासते,
क्योंकि हमारा कल ही आने वाला आज है।
हर आने वाला लमहा जो सपनों में पला हो,
ऐसे हसींन पल का निराला अंदाज है।
आओ कि कोई ख्वाब बुनें कल के वासते।[…]
🍀नाराच छंद🍀
शिवा! अनूपमेय! शक्ति! सांभवी! मनोहरी! ।
त्रिशूलिनी! भुजंग-कंकणा! , त्रिलोकसुंदरी।
सुभव्यभाल, केश-व्याल, माल -लाल, कंजनी।
भजामि मात हिंगल़ाज भक्त भीड भंजणी।।१।।
ध्वनि मृदंग ध्रंग ध्रंग चारू चंग बज्जही।
झमाल झांझ, औ पखाज, वेणु वाजती मही।
डमाल डाक डं डमाक राग तान रंजणी
भजामि मात हिंगल़ाज भक्त भीड भंजणी।।२[…]
🌺भद्रकालिका स्तवन🌺
।।नाराच वृत्तम्।।
संस्कृत
शवासनी स्मशानवासिनी शिवे, दयानिधे।
अघोरघोर गर्जनी, रता मदे दिगंबरी।
विशाल-व्याल केशिनी, प्रपूजिता मुनिश्वरैः।
महाकपालि! मुण्डमालि! भद्रकालिकां भजे।।१[…]
महा पदारथ लाधो संतो!
अलख-ब्रह्म आराधो संतो!
मूरख पढ पढ बणिया ग्यानी,
दो आखर इक आधो संतो!
भाव-नगर, री पोल़ पूगिया,
क्यूं नीं तोरण-वांदो संतो?
सबद भाव हांडी धर चूल्है,
मन तांदल़जो रांधो संतो!
सबद-अमर इण जग सोनलिया,[…]