ठिरड़ै रा ठाट

–9–
।। ई जल्लै तो मारिया ई है!।।
ठिरड़ै रै एक ठावकै मिनख रो ब्याव मंडियो। उणरै एक बेली हो सो उणरी आदत मसकरी री। उण मिनख अर बेली रै बेलीपो ठावको पण बेली माथै विश्वास पण कम। तोई बात आ कै काणो मांटी सुहावै नीं अर काणो बिनां नींद आवै नीं। जद जान वहीर हुवण लागी जणै बेली आयो अर जान हालण री बात करी जणै वो ठावको मिनख जान ले जावण सूं आ कैय’र नटग्यो कै- “भइया तूं मांझो ब्याव बिगाड़ै पो। इयै कारण तनां जान नीं ले जाऊं।”[…]
» Read more