राखड़ी रो नेग !

राखड़ी
बांधणियै
जद जद ई
किणी रै बांधी है!
तो एक सुखद अहसास
होयो मन में !
पनपियो है भाव द्रढता रो
एक अदीठ डर सूं
भिड़ण री, बचण री
दीसी है जुगत
फगत राखड़ी रै धागै रै पाण
पनपियो है आपाण[…]

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म्हारै देखतां-देखतां गमग्यो गांम!

नीं चंवरां में जाजम
नीं घेर घुमेर वड़लो!
नीं मन!
नीं मन री बातां!
करण री कोई ठावी ठौड़
फगत निगै आवै है-
झोड़ ई झोड़!
जिणरो नीं कोई निचोड़!
नीं निचोड़ काढणियो
तो पछै तोड़ कठै है?[…]

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नीं लागै अठै कोई तीज!

अजै तो नीं आई
आधुनिकता री आंधी!
ओ तो फगत दोटो है
आधुनिकता रो!
जिणमें ई आपांरी जड़ां
जोखमीजर उखड़गी!
तो पछै कीकर झालांला?
अरड़ाट देती वा आकरी आंधी!
आपांनैं तो इण दोटै ई
चाढ दिया टोरै!
भमा दिया भोगना!
नाख दी आंख्यां में धूड़
अर
कर दिया चितबगना

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कद ऊगेला थोर में हाथ ?

म्है जद-जद ई
करिया करतो चिड़बोथिया
टाबरपणै री भोल़प में
म्हारी बैनां सूं।
म्हारी आल़ रै पाण
जद टपकता हा
उणां री आंख्यां सूं
टप टप टप
आंसू मोतीड़ा बण।
उणां रै इण
आंसूड़ां माथै पसीज
म्हारी मा
कैया करती ही कै
तूं मत किया कर
गैलायां![…]

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अमर शहीद प्रताप बारठ रै प्रति

हे पुण्य प्रताप!
थारै जेड़ा पूत
जिणण सारु जणणी नै
जोवणी पड़ेला वाट
जुगां जुगां तक
हे पुण्य प्रताप !
केहर री थाहर मे ही
रम सकै है थारै जैड़ा
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बदळाव

कांई फरक पड़ै कै राज कीं रो है ?
राजा कुण है अर ताज कीं रो है ?
फरक चाह्वो तो राज
नीं काज बदळो !
अर भळै काज रो आगाज
नै अंदाज बदळो !
फकत आगाज ‘र अंदाज ई नीं
उणरो परवाज बदळो !
आप – आप रा साज बदळो […]

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मजूरण

मजूरण रै उणियारै में प्रतख दीखतो उण विधाता रो रूप जिकै इण जग नैं रचियो पण अरपण कीधो बीजां नैं। अरे! इणी विध इण भुजां रै आपाण कई घड़िया सतखंडिया आभै सूं अड़िया बे महल जिणां रै सिरजण में समरपण कीधो इण जीवण आपरो जोबन सारो विसरी ममता मिसरी सी छिटकाया हांचल़ रा फूल उजाड़्यो घर बिगाड़्यो कारज फगत इणां री नीव सीसै री करण नैं! पण ! ऐ सदियां सूं नुगरा साथी स्वारथ रा कद पाल़ै हा प्रीत पूरबल़ी जद आ सांझ सवार रै जांदां सूं आंती मार्योड़ी मांदगी रै हाथां लड़खड़ाती बूढापै री फेट सूं भूख सूं बाथेड़ा […]

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डांग अर डोको

कांई कैयो आप
आपरै कन्नै डांग है !
बा ई बंध्यां वाल़ी
नींगल़्योड़ी!
पण किणरै सारु
बता सको हो आप ?
म्हनै तो लागै है
इण डोकै रै आगै
आपरी डांग बापड़ी है
निजोरी है।
आप ई जाणो हो आ बात ! […]

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पतियारो

कुड़कै में फसियोड़ो
धसियोड़ो धरती में
हांफल़तो
झांफल़ा खावतो सो
आकल़ -बाकल़ सो
तड़फड़तो सो लागै पतियारो।
अणसैंधौ
अणखाणो सो
अणसुल़झ्यो […]

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