खरी-खरी सुण ! महाराजा कोपग्या

महाराणा अमरसिंहजी रो बेटो भीम सिसोदिया आपरी बगत रो महावीर होयो। जिणनै राजा रो खिताब हो। शाहजादा खुर्रम कानी सूं लड़तां थकां समरांगण में आमेर जयसिंहजी अर जोधपुर गजसिंहजी (1676-1695) री संयुक्त सेना सूं जिण अदम्य साहस सूं मुकाबलो कियो बो इतियास रै पानां में अमिट है। भीम रै आपाण सूं डर र एक र तो दोनूं महाराजावां रा पग काचा पड़ग्या अर सेनावां में अफरातफरी मचगी। छेवट महाराजा गजसिंहजी रै हाथां ओ वीर वीरगति नै प्राप्त होयो। जद लोगां महाराणाजी नै भीम रै पौरस रै विषय में बतायो तो उणां रो काल़जो फूल र चवड़ो होयग्यो। उणां उठै उपस्थित आपरा खास मर्जीदान कवि (नाम याद नहीं) शायद दधवाड़िया जाति रा चारण हा नै भीम री वीरता विषयक गीत सुणावण रो कैयो। उणांरै गीत री छेहली ओल़ी ही – “पांडूं तणो पाड़ियो नीठ”
इण “पाड़ियो” सबद नैं सुण र उठै ई सभा में बैठा चुतरोजी मोतीसर आपरो माथो धूणियो।
जद महाराणा पूछियो कै “आप माथो कीकर धूणियो? कांई गीत में कोइ कमी रैयगी!”[…]