बारहमासा – भाव नगर कविराज पिंगल शी पाता भाई नरेला

।।छंद त्रिभंगी।।

आषाढ ऊच्चारं, मेघ मलारं, बनी बहारं जलधारं।
दादुर डकारं, मयुर पुकारं, सरिता सारं विस्तारं।
ना लही संभारं, प्यास अपारं, नंद कुमारं निरधारी।
कहे राधे प्यारी, मैं बलिहारी, गौकुळ आवो गीरधारी !!

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जय तेमड़ेराय – चिरजा – कवि सोहनदान जी सिढायच

तेमडाराय
भाकरीयो मन भावणो ,जठे आवङ माँ रो थान रे |
जठे आई माँ रो धाम रे, ङुगरीयो रलियावणो ||

ऊँचे ङुगर ओर लो ज्यारी धजा उङे असमान रे |
जोत जगामग जगमगे माँ रा नामी धूरत निशान रे ||1||
ङुगरियो रलियावणो………..

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नाथजी रा सोरठा

जपतां जपतां जाप, आप बण गया औलिया।
पंड रा म्हारा पाप, नष्ट करौ अब नाथजी।१
तन रो कर तंबूर, मन वाणी मनमोवणी।
जोगी छेड जरूर, निज अंतर सूं नाथजी।।२
नीरमळ गंगा नीर, ऊजळ चित इम आपरो।
तिण सूं बैठौ तीर, नरपत न्हावण नाथजी।।३
पडूं तिहारै पाय, चरणां रो चाकर रखौ।
रीझौ हे गुरूराय, नुगरौ हूं घण नाथजी।।४[…]

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बीसहथ रा सोरठा

आगल़ किण आईह, मन चिंता राखूं मुदै।
म्हारी महमाईह, बणजै मदती बीसहथ।।1
कुलल़ो अनै करूर, समै बहै संसार में।
जोगण आव जरूर, बण मदती तूं बीसहथ।।2
करनी तूं करसीह, मोड़ो इणविध मावड़ी।
सुकव्यां किम सरसीह, बिगड़्या कारज बीसहथ।।3

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जयो रंग करन्नल मात रमै – महाकवि मेहाजी वीठू झिणकली/खेड़ी

।।छंद -रोमकंद।।
वज भूंगल़ चंग मृदंग वल़ोबल डाक त्रंबाक वजै डमरू।
सहनाइय मादल़ भेर वखाणस संख सो झाल़र वीण सरू।
उपवै तन वाजत भाँत अनोअन पार अपार न कोय प्रमै
दुति गात प्रकासत रात चवद्दस रंग करन्नल मात रमै। […]

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सरस्वती आवाहन

🌸छंद अडिल्ल🌸
विमल देह वाणी ब्रह्माणी,
सादर आव अठै सुर राणी।
लय छंदों री करवा ल्हाणी,
वसौ कंठ मां वीणा पाणी।।१ […]

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🌹शारदा स्तुति🌹- कवि स्व. अजयदान जी रोहडिया कृत

🌸छंद रेणंकी🌸
निरमल नव इन्दु बदन विलसत भल, द्रग खंजन मृग मद दलितम्।
कुम कुम वर भाल बिन्दु कल भ्राजत, तन चंदन चरचित पुनितम्।
झल़कत अरू झल़ल़ झल़ल़ चल लोलक, लसत सु श्रवण ललाम परम्।
शारद कर प्रदत सुक्ति यह सुखकर, किंकर पर नित महर करम्।।१

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सरस्वती वंदना

।।छंद: हरिगीतिका/सारसी।।
शुभ स्वेत वसना, ललित रसना, दडिम-दसना, उज्जवला।
कलहंस करती, फरर फरती, तिमिर हरती, निर्मला।
सिर मुकुट सुंदर, हार गल वर, माल मनहर कर अति।
प्रिय पुस्तपाणि, वाक-वाणी, वीण पाणी, सरसती।।१[…]

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🌹जय करनी जय शंकरनी🌹- कवि स्व. अजयदान जी रोहडिया

🌸दोहा🌸
जग करनी, हरनी जगत, जग भरनी जगदंब।
किनियांणी करनी नमो, काटनि क्लेश कदम्ब।। १
देत बुआ सिर डूचको, अंगुलिन भइ अनुरूप।
नाम करनी या तें दियौ, लख निज करनि अनूप।। २

🌸छंद रेणंकी🌸
बरनी नहि जाय विशद तव करनी, आदि शक्ति नति अघ हरनी।
हरनी मद मोह, कोह तम तरनी, युग युग अवतरनी धरनी।
धरनी कर त्रिशुल मुण्ड निर्जरनी, धूर्त धृष्ट जग वध करनी।
करनी जन कष्ट नष्ट कलि करनी, जय करनी!जय शंकरनी।। १[…]

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बांस रहे न बजे नह बाँसुरी – कवि स्व अजयदान जी लखदान जी रोहडिया

दूध की सुधि नहिं बछरानहु, पागुर और न गाय करे है|
पौन समर्थ रहै नँह गौन हू मंद ही मंद वही विचरे है|
चालत सूर्य सुता जल ह्वै थिर भूधर होत द्रवित झरे है|
आलि!कहा कहों जो मुरली मुरलीधर ले अधरान धरे है||१

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