भभूता सिद्ध रा छंद

राजस्थान रै लोक देवतावां में एक नाम भभूता सिद्ध रो ई है। उन्नीसवें शताब्दी रै पूर्वार्द्ध में भभूता सिद्ध रो जनम चारणवाल़ा रा सोलंकी गोमसिंह रै घरै होयो। कविवर शंकर रै आखरां में – गोमा सुतन प्रगट गढ कोटां मोटा भूपत मानै। मेवा मिसठान पतासा मिसरी थिरू चढावै थानै।। कवि रुघजी रतनू आपरै रंग रै दूहां में इण भांत लिखै – सातम है सिद्धराज री, चहुंकूंटां व्है चाव। अमलां वेल़ा आपनै, रंग सोलंकी राव।। सर्पदंश सूं भभूता सिद्ध देवलोक होया। काल़ीनाडी मुख्य स्थान है। आथूणै समूल़ै राजस्थान में घणी मानता। गांव गांव थान। म्हारै दादोसा (गुणजी हरदानजी रा) रा दादोसा […]

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अष्टपदी – किशोर सिंह जी ‘वार्हस्पत्य’ कृत

श्री करनी सुख करनी, अजरामर ए!
आदि शक्ति अवतार, जय देवेशि जये।।1 ।।
विश्व विमोहन कारणि, भवतारिणी ए!
जय जय त्रिगुणातीत, जय देवेशि जये।।2।।[…]

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सदगुरू का बंदा ब्रह्मानंदा

🌸छंद त्रिभंगी🌸
भट वेद पठंदा,संध्या वंदा,कर्मन फंदा,उर्झंदा|
ओंकार जपंदा,मौन रहंदा,अंतर मंदा,मुर्झंदा|
पुनि कथा कहंदा,लोग ठगंदा,विकल फिरंदा,वर्तंदा|
सदगुरु का बंदा,ब्रह्मानंदा,साँच कहंदा, सब हंदा|| १ […]

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स्तुति – अज्ञात कवि

स्तुति
मढ हूँत बेग पलाण मखत्ती,बावन झूल सहेत बखत्ती
हेकण ताल़ी बाघ हकत्ती, सीस उबेल़ण आव शकत्ती।

साख बीससत काज सरन्नी, बेद किसो जिण जाय बरन्नी
धाबल़ लोवड़ ताय धरन्नी, कवि उबारण आव करन्नी।

शीश चाड जणा साद सुणीजेभारी हुवै कामल़ी भीजे
देबी आय बेग सुख दीजे,किनियाणी अब जेज न कीजे […]

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🌹श्रीब्रह्मानंदमंगलस्तवनम्🌹- श्री कृष्णवल्लभाचार्य कृत

शार्दूलविक्रीडीतवृत्तम्
य: षड्भावविवर्जिताङक्षरपदस्थानादिमुक्त:स्वयं|
स्वेष्टाङ्ज्ञावशवर्तनाङप्तनृजनि सच्चारणज्ञातिक:|
सिद्धार्थ:सुरकोटिगो मतिमतां मूर्धन्य ईष्टव्रती|
आजीवाङदृतनैष्ठिको विजयते श्रीलाडुसंज्ञ:कवि:||१

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धरंत ध्यान आपको – गिरधारी दान रामपुरिया

।।छंद नाराच।।
धरंत ध्यान आपको, अणंद भाव आवतो।
नमंत नाम नेम सूं, जपंत रोग जावतो।।
करंत याद कीरती, मिटंत दोस मावड़ी।
करो सहाय आप आय, धाय बेल धावड़ी।।[…]

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शिव स्तुति – पन्नारामजी मोतीसर जुढिया कृत

छंद नाराच
करूं प्रणाम जोग धाम संग धाम गो सिरं।
भुजंग दाम कंठ ताम रक्त नाम लेररं।
महान थान छै अकाम मुक्ति ग्राम मगलं
नमो शिवाय सोमनाथ मो अनाथ को मिलं।। १

नगन्न अंग सीस गंग धूत रंग धारणी।
अफीम भंग बीज चंग पान रंग पारणी।
मतंग चाल पे विराज साज ध्यान निस्चलं।।
नमो शिवाय सोमनाथ मो अनाथ को मिलं।। २ […]

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स्वामी ब्रह्मानंद जी (लाडूदान जी आसिया)

सिरोही का राज दरबार खचाखच भरा हुआ था। महाराजा के कहने पर, युवा कवि लाडूदान आसिया ने अपनी स्वरचित कविताएं सुनाना शुरू कर दिया। बच्चे के शक्तिशाली और धाराप्रवाह काव्य वाचन ने दर्शकों को मन्त्र मुग्ध कर दिया, काव्यपठन समापन होते ही करतल ध्वनि और वाहवाही से पूरा राज दरबार गूँज उठा। भीड़ अभी भी विस्मय से युवा कवि के बारे में चर्चा कर रही थी, सिरोही के महाराजा के मन में विचार आया “कितना अच्छा हो यदि हमारे राज्य के इस अमूल्य रत्न की प्रतिभा की महक हर जगह फैले। ” इस सदाशय से सिरोही के महाराजा ने भुज […]

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🌹सूर्यनारायण स्तुति🌹-कविराज नवलदानजी आसिया (खांण)

🌹छंद रेणंकी🌹
नित नित नवलेश शेश कर समरन, जुग अशेश कर क्लेश जरे|
सुमिरत अमरेश शेश पुनि शारद, ध्यांन धनेश गणेश धरे|
विलसत दश देश बेस बल व्यापक, प्रगट विग्यान अग्यान परे|
दिनकर कर निकर उदयगिरि ऊपर, होय उदयकर तिमिर हरे||१ […]

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काफी

संत समागम कीजे

हो निश दिन …….. संत समागम कीजे
मान तजी संतन के मुखसे,प्रेम सुधारस पीजे।
अंतर कपट मेटके अपना,ले उनकूं मन दीजे।
भव दुःख टले बळे सब दुष्क्रीत,सब विध कारज सीजे।
ब्रह्मानंद कह संत की सोबत,जनम सुफल कर लीजे॥ […]

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