घूंघर छम छम छम छम बाजै

घूंघर छम छम छम छम बाजै!
रसन पटांगण रमै चारणी, सबद बीण कर साजै!
उजळआनन, हार अनुपम, स्फटिक धवल सुभधारी!
आई नाचै रसन अखाडै, वसन स्वेत वरदा री!
घम घम घम घम पद रव गूंजै, जाणक घन नभ गाजै!
घूंघर छम छम छम छम बाजै![…]
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घूंघर छम छम छम छम बाजै!
रसन पटांगण रमै चारणी, सबद बीण कर साजै!
उजळआनन, हार अनुपम, स्फटिक धवल सुभधारी!
आई नाचै रसन अखाडै, वसन स्वेत वरदा री!
घम घम घम घम पद रव गूंजै, जाणक घन नभ गाजै!
घूंघर छम छम छम छम बाजै![…]
।।छंद -रोमकंद।।
वज भूंगल़ चंग मृदंग वल़ोबल डाक त्रंबाक वजै डमरू।
सहनाइय मादल़ भेर वखाणस संख सो झाल़र वीण सरू।
उपवै तन वाजत भाँत अनोअन पार अपार न कोय प्रमै
दुति गात प्रकासत रात चवद्दस रंग करन्नल मात रमै। […]
बूढां रो अपमान कर्यां सूं, मिनख जमारो खाख हुवै।
बूढा थारी-म्हारी सोभा, (अै) बूढा घर री साख हुवै।।
इक दिन सबनै बूढो होणो, इणमें मीन न मेख सुणोे।
चार दिन रो जोश जवानी, पछो बुढापो पेख गुणोे।।
शैशव, बाळपणो’र जवानी, अगलो आश्रम दे ज्यावै।
ओ बुढापो कछु नहीं देवै, जीव तकातक ले ज्यावै।
मिटसी महल, ठहरसी गाडी, आं रिपियां री राख हुवै।
बूढा थारी-म्हारी सोभा, (अै) बूढा घर री साख हुवै।। 01।।[…]
।।गीत – प्रहास साणोर।।
जय जारियो गरल़ नै जगत हित जटेसर।
नटेसर सरल़ धर रूप नामी।।
खल़ां कर रूठियां त्रिशूल़ां खयंकर।
भोल़िया भयंकर नाथ भामी।।१।।
खल़कती गंग नै जटा मे खपाई।
भंग मे हुवो मद मस्त भारी।।
क्रोध मुर लोयणां सहै कुण कोपियां।
थहै कुण रीझियां पार थारी।।२।।[…]
छंद: त्रिभंगी
करतुंड कटंकर खाग खटंकर मुंड मटंकर भयभीन्ना |
मंथन दधी मंकर भुजबल भंकर गरल गटंकर गणकीन्ना ||
निलकंठ नटंकर लचक लटंकर जटा जटंकर जणणाटी |
नम हर शिव शंकर डाक डणंकर धोम धणंकर धणणाटी||01||
जोगण पत जंकर बात बधंकर दक्ष दधंकर हथलीन्ना |
गीयणां गणणंकर चकर चटंकर प्रथी पटंकर रतपीन्ना ||
दावानल दंकर फाट फटंकर खडग खटंकर खणणाटी |
नम हर शिव शंकर डाक डणंकर धोम धणंकर धणणाटी||02||[…]
सिध्धकुंजिका सांतरी, करण सकळ शुभ काज।
गुरुचाबी गढवी तणी, मेहाई महराज।।२७२
चँडी जाप है चारणी, तारण भव जळ मां ज।
अवल नाम आणँद घण, मेहाई महराज।।२७३
कवच अरगला कीलकां, रो सब है मां राज।
रिधू राज राजेस्वरी, मेहाई महराज।।२७४
सुकत ध्यान अर न्यास सब, अरचन वंदन आ ज।
सरस नाम सुखरूप है, मेहाई महराज।।२७५[…]
।।शार्दूलवीक्रिडीत छंद।।
अंबा नीलसरस्वती त्रिनयनी, वन्दे शम्शानी परा।।
कैची खप्परणी विशाल खडगा, नीलांम्बुजं धारिणी।
कंठे हार भुजंग व्याल वलया,तन्वी जया तारिणी।
श्रीमद्एकजटाशिरा नमन मां,श्यामा तनु आवडा॥1
ऐं ह्रीं श्रीं शुभ क्लीं हुं उग्र तरला, कापालिका मंगला।
कंकाली नरमुंडमाल धरिणी, शक्ति स्वरूपा भवा।
वामाखेपवशिष्ठ आदिजननीं, हुंकारिणी,चित्परा।
तारा वंदन कालहंती वरदा, मां आवडा शारदा॥2[…]
॥छंद त्रिभंगी॥
वेदां वंचाणी, पढे पुराणी, क्रोड विनाणी, कतियांणी।
कै काम कमाणी, अकह कहांणी, जय सुर राणी जगजाणी।
भाखे ब्रह्माणी, तुं मन भाणी, अविरळ वांणी, उदंडा।
रव राय रवेची, मुंह माडेची, चाळकनेची, चामुंडा॥1
आशापुरा आई, देव दुगाई, महण मथाई, मंहमाई।
सतशील सदाई, जुध्ध जिताई, गाढ वडाई, गरवाई।
दैतां दुःखदाई, सुरां सहाई, खिति उपाई नव खंडा।
रवराय रवेची, मुंह माडेची, चाळकनेची, चामुंडा॥2
भगवती चंदू रो जनम माड़वा (पोकरण) रै संढायच उदैजी दलावत रै घर मा अणंदू मिकस री कूख सूं उनीसवै शताब्दी रै पूर्वाद मे हुयो। अणंदूबाई ई गुडी रै पोकरणां रै अत्याचारां रै खिलाफ जंवर कर चारणां रै स्वाभिमा नै अखी राखियो। देवी चंदू रो ब्याव दासोड़ी रै रतनू रतनजी सूरदासोत रै साथै हुयो। उण दिनां पोकरण माथै सालमसिंह चांपावत रो अधिकार हो, सालमसिंह चांपावत, चांपावतां री ऊजल़ी परंमपरा रो निर्वाह नीं कर सक्यो, उण आप रै सलाहकारां री उल्टी सीख मानर माड़वा री कदीमी सीम नै उथाल़ण अर अखैसर ताल़ाब नै कब्जे मे करण सारू माड़वै रै अखैसर ताल़ाब तक आपरी सेना […]
» Read more।।छंद – सारसी।।
पीसण उथालण संत पाल़ण, भीर हालण भाणवां।
सालम सालण वसू वाल़ण, जग उजाल़ण जाणवा।
सेव्यां संभाल़ण चाड चालण, दुख दाल़ण दीसरी।
किरपाज सिंधू कर अणंदू आद चंदू ईसरी।।१[…]