छंद करनीजी रा – कवि गंगारामजी बोगसा
कवि गंगारामजी बोगसा रो जनम सरवड़ी गांव में होयो। महाराजा मानसिंहजीअर तखतसिंहजी जोधपुर रा समकालीन कवि गंगारामजी मोकल़ी डिंगल़ रचनावां लिखी। जिणां में भक्ति अर वीर रसात्मक दोनूं भांतरी है। आपरै समकालीन उदार अर वीर पुरुषां रै शौर्य अर औदार्य रो प्रमाणिक वरणाव आपरी रचनावां में होयो है तो भक्ति री सरस सलिला ई प्रवहमान होई है। सोमनाथ रा छंद, खूबड़ाजी रा छंद अर छप्पय , सौभद्रादेवी रा छंद अर करनीजी छंद घणी लोकप्रिय रचनावां है। श्रद्धेय डॉ शक्तिदानजी कविया प्रसिद्ध देवी विषयक रचनावां रो संपादन कर रैया है सो “करनीजी रा छंद” पाठ मिलान वास्तै म्है उणां नै प्रिय महेन्द्रसा नरावत रै मारफत भेज रैयो हूं तो सोचियो कै आप तक ई पूगतो कर करदूं। –गिरधरदान रतनू दासोड़ी
छंद करनीजी रा-गंगारामजी बोगसा रा कहिया
देवी डाढाल़ीह, काछेली हेलो कियां।
आवै उंताल़ीह, व्रन रुखाल़ी वीसहथ।।
।।छंद।।
बोत विरोध विचार अकब्बर
नीच अनीत करी अनियाई।
भामण तेड़ लही छल़ भीतर
हिंदूस्थान म्रजाद हटाई।
साहल़ भूप पीथल्ल की सांभल़
एकण साद तणै पुल़ आई
वीसहथी करनी व्रन वाहर म्हांरीय साय करो महमाई।।१
ऊदाईय दूर धरा चरड़ाऊव़ो
वाहर कीनिय राजलबाई।
सहियो हत्थल दूहण सेहल़ो
धेन दूहंताय आतुर धाई।
बाघ को रूप कियो रथ में बड़
छत्रियां नवरोज छुडाई।
वीसहथी करनी व्रन वाहर म्हांरीय साय करो महमाई।।२
मेहरखियै नै जीवाड़ण इम्रत
लोहड़याल़ पताल़ सूं लाई।
दुणियर नाय ऊगो ऊदावन
बावन परचा दीनाय बाई।
हेक चल़ू भर सागर हाकड़ो
पी गई पार न को प्रभुताई।
वीसहथी करनी व्रन वाहर म्हांरीय साय करो महमाई।।३
हाल विचार हेमाल़ै को डोहन
क्रोध करै पतसा अटकाई।
काछेली रीझ करी सहियां कुल़
सैणल गाल़ दीनी पतसाई।
मात कीनी जुढिया पर मेहर
कोयर नीर अथाग कराई।
वीसहथी करनी व्रन वाहर म्हांरीय साय करो महमाई।।४
नवलक्ख फौज नरेश नवैघण
आतुर चक्खड़ा नेस नेताई।
पत्र सोनै रा कीना वड़ पानरा
जो सब कुल्लड़ एक जिमाई।
नवलक्ख भालै री नाथ नमो नित
पाणीय कोड सूं दूध पिलाई।
वीसहथी करनी व्रन वाहर म्हांरीय साय करो महमाई।।५
देवी तुंही भलियाईय देवल
दुलाईय मालण चंदू ऊदाई।
सोख लिया सब हेरनै सात्रव
संत तणी कर बेग सहाई।
मोटकी मोटका दोयण मारण
चारण पोयण तुंही चलाई।।
वीसहथी करनी व्रन वाहर म्हांरीय साय करो महमाई।।६
काल़ पड़्यो परथाद भयंकर
रैण मऊ वड़ हेठ रहाई।
नाज मिल्यो न उपाड़ सक्या नर
मेलग्या बाल़क बाप रू माई।
बाल़कां री प्रतपाल़क खूबड़
जीमण रोटियां दूध जिमाई।
वीसहथी करनी व्रन वाहर म्हांरीय साय करो महमाई।।७
विश्व विखैय भैंसादल़ भांजत
काल़का जाल़का तुंही कहाई।
तूं नागणेचिय तुंही रवेचिय
वांकल तुंही लल़ेची कहाई।
चाल़राय तुंही प्रतपाल़क चारण
मोटवी संकट तुंही मिटाई।
वीसहथी करनी व्रन वाहर म्हांरीय साय करो महमाई।।८
भाखर धूंबड़ै थान भाद्राजुन
कागड़ू माखी जठै ना काई।
सातांय दीप विराजत सूंधैय
आप बिलाड़ैय राजल आई।
वीसहथी हिंगल़ाज विराजत
सैंभर भाडखै पुन्नै सदाई।
वीसहथी करनी व्रन वाहर म्हांरीय साय करो महमाई।।९
जोगण आप विराजत जंगल़
थांन वीकै घर राज थपाई।
देवी करंड कियो कुल़देव रै
ध्यान सदामत दास धराई।
ऊपर चौथ के कीनिय ईसरी
वांचत वेद पुराण वडाई।
वीसहथी करनी व्रन वाहर म्हांरीय साय करो महमाई।।१०
चांवड तूझ दियो वर चूंड को
देवी मंडोवर राज दिराई।
आस पूरै प्रिथीराज रै ऊपर
काट सत्रुवांय वार कराई।
किलम्मां रा दल़ खायग्या कूकड़
बैचर तूं घट मांय बोलाई।
वीसहथी करनी व्रन वाहर म्हांरीय साय करो महमाई।।११
डाढाल़ी होय गई अब डोकर
सांप्रत काय विदेस सिधाई।
काछेली बाघ गुमे ज गयो कांई
कारण तैं इती जेज कराई।
त्रिकम ज्यां गजराज नै तारियो
रेणवां तार हमे सुरराई।
वीसहथी करनी व्रन वाहर म्हांरीय साय करो महमाई।।१२
आल़स आय गयो क बैरी अब
थाक गई पग पांगल़ी थाई।
जोर कल़ू सगल़ो घट जोगण
वार करै न सुणै वरदाई।
आज उंताल़ सुणो व्रिद आपरा
सावज ऊपर मांड सजाई।
वीसहथी करनी व्रन वाहर म्हांरीय साय करो महमाई।।१३
सगती शुंभ निशुंभ हणै सझ
मधुकीट तुंही रक्तबीज खपाई।
रावण सूं रण जीपियो राघव
सांप्रत चंद री कीध सहाई।
द्रोण दुर्योधन भीखम सा दल़
जुद्ध में पांडव भूप जिताई।
वीसहथी करनी व्रन वाहर म्हांरीय साय करो महमाई।।१४
ब्रह्मा विसणू महेश वंदतांय
सैस इन्द्रादिक कीध सहाई।
तेरोय रूप सदा परमेसरी
देह धरी जितरा दरसाई
दिष्ट में रूप तिहारोय दीसत
गंग कविन सकै न गिणाई।।
वीसहथी करनी व्रन वाहर म्हांरीय साय करो महमाई।।१५
~~कवि गंगारामजी बोगसा
प्रेषित: गिरधरदान रतनू दासोड़ी रै निजी हस्तलिखित संग्रै सूं