मढ में आवड मात रे

मढ में आवड मात रे, बजै ढोल तोतींग।
धींगड धींगड धींग ध्रं, धींगड धींगड धींग।।177
मढ में आवड मात रे, मोटो बजै मृदंग।
तिरकिट तिरकिट तुम ततक, तिरकिट तिरकिट तंग।।178
मढ में आवड मात रे, झालर बजै विराट।
झणणण झणणण झणण झण, झणण झणण झणणाट।।179
मढ में आवड मात रे, थाळी वजै अनंत।
थणणण थणणण थणण थण, थणण थणण थण थंत।।180
मढ में आवड मात रे, बाजै मोटो चंग।
धिधिकट धिधिकट धिकट धत, धिधिकट धिधिकट ध्रंग।।181
मढ में आवड मात रे, सरस वजै शहनाइ।
चै चै चै चै चैच चच, चै चै चै चौ चाइ।।182
मढ में आवड मात रे, ताता बजै तबल्ल।
तिरकिट तुम तिरकिट ततक, तिरकिट तिरकिट तल्ल।।183
मढ में आवड मात रे, भली वजै है भेरि।
भणण भणण भणणण भणण, भणण भणण धुनि व्हैरि।।184
मढ में आवड मात रे, तातो तंत्री नाद।
तणणण तणणण तण तणण, सरस सुरमयी साद।।185
आवड मढ रे आंगणै, गजब नगारां गाज।
धडं धडं धडडड धडँग, धडड धडड आवाज।।186
आवड मां रे आंगणै, बजै डमंका डाक।
डक डक डक डक डकक डक, डौ डीक डहक डकाक।।187
आवड मावड आप रे, मढ में बजै मँजीर।
झांझ पखावज झालरां, गूंजै रव गँभीर।।188
मादळ भेरी मृदंग रव, सरस वेणु सुर नाद।
आवड वड रे आंगणै, निश दिन मधुर निनाद।।189
आवड मां रे आंगणै, गूंजत दीपक राग।
ज्योत उणी पळ जळहळै, देखै वा बडभाग।।190
गाढा जंगळ गीर में, जद जद लागै आग।
मात मेह बरसावता, मधुर मलारां राग।।191
नरपत मन समरथ नहीं, अरपत सरसत आइ।
इणसूं माता आप री, गुणियल चिरजा गाइ।।192
~~©नरपत आसिया “वैतालिक”
“आवड आखे आसिया” से