चौमासो

उमड़ी जद कांठळ उतरादी,
भुरजां में बीजळ पळकी है।
अड़बड़ता वरस्या बादळिया,
खळहळती नदियां खळकी है।।
पालर सूं धोरा हद धाप्या,
तालर में डेडरिया बोलै।
मुधरा बोलै देख मोरिया,
कोयलियां कंठ मीठा खोलै।।
मोहै देख ममोल्या मन नैं,
भागण रै नथ रा ज्यूं मोती।
धरती री रग रग नाच रही,
तनड़ै पर जोबनियो जोती।।
मनड़ै री तास मिटी करसां री,
ओ सास हरख रो आयो है।
लायो है आणंद घर घर में,
मरू आज चौमासो आयो है।।
हेत कियां निछरावळ हळ पर,
ओ खेत हाळीड़ो बावै है।
निपजैला मोती मुरधर में,
मुधरै सुर गीत सुणावै है।।
आ लड़ाझूम सिंणगार किया,
भातो ले हाली भतवारण।
खांमद ऱो हाथ बटावण नैं,
मनहरणी हाली दुखहारण।।
नभ देख घटा गहराई जिम,
बूंठाळी बाजर लहराई।
चंगी घरणी नैं इंद आय,
सतरंगी चूंदड़ ओढाई।।
सुरंगोड़ै सावण मास मांय,
ओ ऊछब तीज रो छायो है।
भल भायो है तीजणियां मन,
मरू आज चौमासो आयो है।।
झूलर ऐ निकळे सखियां रा,
हींडण नैं हींडो मनहारण।
निकल़ै घण कान ग्वाळा ऐ,
वाघेला धेनां रा चारण।।
रुणझुणता बाजै टोकरिया,
छोकरिया नाचै देख सधर।
साचोड़ै सायब सुण लीनी,
मुरळी री मीठी तान मुधर।।
खेतां में भणकार भणंत री,
लागी है रणकार सही।
सुरधर रै जोड़ै मुरधर है,
घर घर में मंगळ गीत सही।।
काळा रो माथो किचरणियै,
वासव इमरत वरसायो है।
सरसायो मुरधर देस देख,
मरू आज चौमासो आयो है।।
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~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”