कवि देवीदान देथा बाबिया (कच्छ) का मरसिया – कवि जाडेजा प्रताप सिंह जी

।।छंद – त्रिभंगी।।
सरदं ऋतु आई, छिति त्रय छाई, घन गहराई, जरठाई।
नवकुंज फुलाई, नव निशि पाई, रास रचाई, जगमाई।
दिप माल बनाई, साज सजाई, जन सुखदाई, संसारा।
देवा!दिलदारा, इण रुत न्यारा, दरस तिहारा, दे प्यारा।।१[…]