रांमदेव जी रा दूहा – उदयराज जी उज्जवल

तुंवर मो तारेह,  आंख सुधारै ईसवर।
थेटू श्रण थारेह,  रैणव वसिया रांमदै।।१।।
तै दीधा कर तोय,  पीळा आखा पातसा।
सिंढायच कुळ सोय, आदू शरणै आपरै।।२।।
परी मटाडै पीड,  दे जोती आंखां दुरस।
भांणव पडतां भीड,  आव मदत अजमाल रा।।३।।
तुं साचौ किरतार,  दुःख मेटण प्रगट्यौ दुनि।
वीगरी कर वार,  अबखी पुळ अजमाल रा।।४।।
वीदग बारंबार,  करुणानिधि वीणत करै।
तार किसन अवतार,  मात पिता तु रामदे।।५।।[…]

» Read more

भजन महिमा – जनकवि ऊमरदान लाल़स

।।छंद मधुभार।।
अथ ओमकार। अक्षर उचार।
निस दिवस नाम। रट राम राम।।१
द्वै सुलभदीप। श्रद्धा समीप।
रुचि ह्वै सु राख। दुहु दिव्य दाख।।२
मम इष्ट मिष्ट। आदर अभिष्ट।
महिमा मनोग्य। जप तपन जोग्य।।३
माधूर्य मेह। आसार एह।
सदगुरु समान। जीवन जहान।।४
चित प्रथम चेत। उल्लू अचेत।
यह तन अयान। न स्थिर निदांन।।५[…]

» Read more

हनुमान अष्टक – जनकवि ऊमरदान लालस

अंजनी ग्रभ आयौ, सुमन सुहायौ, गुनि गन गायौ, ग्यान गती।
पावन सुत पूरौ, दूषण दूरौ, समहर सूरौ, जन्म जती।
करनी सुभकारी, धर जस धारी, भव भयहारी, भीम भुजा।
ले लाल लंगोटी, काछ कछोटी, धारन मोटी, लाल धजा।।१[…]

» Read more

गोड़ावण गरिमा – कवि मोहन सिंह रतनू

।।छंद नाराच।।
वदे महीन मृदूबाक, काग ज्युं न कूक हे
बैसाख जेठ मास बीच ,लूर मोर सा लहे
सणंक सो करे सुवाज ,भादवे लुभावणी
जहो गुडोण जागरुक मारवाड तू मणी…..१[…]

» Read more

श्री रांमदे सतक – उदयराजजी उज्जवल कृत

आय वस्यौ अजमाल, कासमीर मारूधरा।
भला चौधरी भाल़, मलीनाथ रा राज में।।१
कासमीर में छोड़िया, जंह गाडा अजमाल।
गाडाथल़ वाजै जगा, जाणै सगल़ा हाल।।२
पुत्र कामना पूर, जद वापी अजमाल रै।
झलियौ नेम जरूर, दरसण करवा द्वारका।।३
साधू रै उपदेस, कीधी सेवा किसन री,
पुत्र दियौ परमेस, वीरमदे रै नांम रौ।४
अरज करी अजमाल, कांनूड़ौ जनमै कंवर।
देखै भाव दयाल़, प्रगट्या उण घर पाल़णै।।५[…]

» Read more

कागा बिच डेरा किया, जागा अबखी जाय

सिद्धां औरूं कवेसरां, जे कोई जाणै विद्ध।
कपड़ां में क्यूं ही नहीं, सबदां में हिज सिद्ध।।

कविश्रेष्ठ केसवदासजी गाडण आ कितरी सटीक कैयी है कै सिद्ध अर कवि री ओल़खाण भड़कीलै कपड़ां सूं नीं बल्कि उणरी गिरा गरिमा सूं हुवै। आ बात शुभकरणजी देवल रै व्यक्तित्व माथै खरी उतरै। साधारण पोशाक यानी ऊंची साधारण धोती,मोटी खाकी पाघ,अर साधारण ईज मोजड़ी। ना तड़क ना भड़क पण आखरां में कड़क बखाणणजोग।[…]

» Read more

आहुवा पच्चिसी – कवि हिम्मत सिंह उज्ज्वल (भारोड़ी)

जबत करी जागीर, जुलमी बण जोधाणपत।
व्रण चारण रा वीर, जबरा धरणे जूंझिया।।1।।

रचियोड़ी तारीख, आजादी भारत तणी।
सत्याग्रह री सीख, जग ने दीधी चारणां।।2।।

अनमी करग्या नाम, अड़ग्या आहुवे अनड़।
करग्या जोगा काम, मरग्या हठ करग्या मरद।।3।।

लोही हंदा लेख, लड़िया बिण लिखिया सुभट।
रगत तणी इल़ रेख, खेंची खुद रा खड़ग सूं।।4।।[…]

» Read more

बैशक दीजो बोट – कवि मोहनसिंह रतनू

दिल मे चिंता दैश री,मन मे हिंद मठोठ।
भारत री सोचे भली, बीण ने दीजो बोट।।

कुटलाई जी मे करे,खल जिण रे दिल खोट।
मोहन कहे दीजो मति,बां मिनखां ने बोट।।

काला कपटी कूडछा,ठाला अनपढ ठोठ।
घर भरवाला क्रत घणी, दैणो कदैन बोट।।[…]

» Read more

नाहर जसौल नमस्कारणा – कवि शक्तिदान जी कविया (बिराई)

चावी बातां चारणां, आप लिखी अणमोल।
कुळ महेच नाहर कमध, जलम्यो भलां जसोल।।

।।गीत जांगडौ।।
सूरज वंसी रावळ सळखाणी, मलीनाथ मालाणी।
मेहळ भगतां सिरै प्रंमाणी, रंग रूपांदे राणी।
माल तणो जगमाल महाभड़, वडम अनड़ रणबंको।।
अपहड़ बिजड़ हथौ अड़पायत, सात्रव दळ पड़ संको।।

» Read more
1 12 13 14 15 16 55