महात्मा ईसरदासजी री महिमा रा सोरठा – शुभकरण जी देवऴ (कूंपड़ास)

मालाणी धर मांयने, भल सांसण भाद्रेस।
जिथ सूरै घर जनमियो, (उण) ईसर ने आदेस।।
ज्वाला गिरी जोगी जबर, गिर हिम निज तन गाऴ।
सुत जनम्यौ सूरा घरै, भगतां रो भूपाऴ।।
कज हरि तो हरिरस कथ्यौ, देवी कज देवियाण।
सुंण कुंडऴियां संचरै, सूरापण सुभियांण।।
मिस निंदा अस्तुति मुणी, वऴ कथ गुण वैराट।
ईसर इण विध अलखरा, ठाह्या भगती ठाट।।[…]