चिरजा इंन्द्रबाईसा की – कवि हिंगऴाजदान जी जागावत

इंन्द्रबाई आये कृपा करि आप,
बड़ापण राज तणूं भारी।।टेर।।

पाप कोऊ प्रकट्यो मों पिछलो,
मैं मति भयो जु मंन्द।
मां मन बिलकुल कुटिल हमारो,
भूल गयो धज बन्द।
फेर फिर किरपा अणपारी।।1।।[…]

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चिरजा मंदिर की – कवि हिंगऴाजदान जी जागावत

आदरणीय जागावत हिंगऴाजदान जी सा चिरजावां में अनूठो प्रयोग करियो है। भगवती का मंदिर ने सम्बोधित करती दो रचनावां करी है जिणमें पहली में निवेदन है कि हे माँ भगवती आप भव्य मंदिर को निर्माण करवायो जिणमें कई भांत की विशेषता है, और दूसरी चिरजा में भवन ने कहियो है कि भवन तूं कितणो भाग्यशाली है जो बीसभुजाऴी भगवती आप में बिराजमान है। ।।प्रथम।। अम्बा हे गढ मानहु स्वर्ग बसायो। सो सह शकत्यां आय सरायो।।टेर।। दिशि पूरब झांकत दरवाजो, कोट तणो करवायो। ऊंचा पण देशाण अन्दाजै, लोयण भोत लखायो।।1।। बुरज उतर वारी पर भारी, “भगवती-भवन” बणायो। ताहि नजीक सरिस तैं […]

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द्वितीय वर्षगांठ – www.charans.org

वि.स. २०७४ आश्विन शुक्ल प्रतिपदा (२१ सितम्बर २०१७)

नवरात्री स्थापना की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। आज का दिन एक और कारण से विशिष्ठ है क्योंकि दो वर्ष पूर्व आज ही के दिन माँ भगवती की प्रेरणा से www.charans.org साईट का शुभारम्भ किया गया था। आज इसकी दूसरी वर्षगांठ है।
एक छोटा सा पौधा जो दो वर्ष पूर्व शारदीय नवरात्री स्थापना के दिन लगाया गया था, आज आप सभी के सहयोग एवं उत्साहवर्धन से निरंतर प्रगति कर रहा है। कुछ तथ्य प्रस्तूत हैं:[…]

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धवल उजवल मरुधरा – कवि श्री मोहन सिंह रतनू

जिण भोम उपजे भीम सा भट, थपट भूमंड थरथडै।
धड शीश पडियो लडे कमधज, झुण्ड रिपुदल कर झडे।।
जुध काज मंगल गिणत जोधा, वीरवर विसवासरा।
प्रचंड भारत दैश प्रबल, धवल उजवल मरुधरा।।[…]

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भैरूंनाथ रा छप्पय – जवाहरदान जी रतनूं

।।भैरवानाथ।।

।।छप्पय।।

डमर डाक डम डमक, घमर घूघर घरणाटै।
पग पैजनि ठम ठमक, स्वान झमझम सरणाटै।
द्युति आनन दम दमक, रमक गंध तेल रऴक्कै।
गयण धरा गम गमक, खमक मेखऴी खऴक्कै।
सम समक संप चम चम चमक, धमक बहै रँग धौरला।
मोरला काम कज चढ हद मदद, (रे) गुरज लियाँ कर गौरला।।1।।[…]

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प्रताप की बलिदान कहानी !

सुन आर्यभूमि का आर्तनाद, उठ गए देश के दीवाने।
जल उठी काल लपटें कराल, आ गए शमा पर परवाने।।
चुप रह ना सका सौदा प्रताप, जग उठा जाति का स्वाभिमान।
जगती तल के इतिहासों में, गूँजे थे जिसके कीर्ति-गान।।
आखिर चारण का बच्चा था, वह वीर “केसरी” का सपूत।
पद दलित देश की धरती पर, वह उतरा बनकर क्रांतिदूत।।[…]

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