🌺रयत रा रूखवाला🌺 – कवि भंवरदान मधुकर माड़व

।।छन्द त्रिभंगी।।
धन, धन हद शूरा, अडग अरूरा, भारत भूरा, बल पूरा।
हाकल कढ हूरा, जोध जरूरा, हिन्द हजूरा, जंग जूरा।
दुष्टी कर दूरा, गंज गरूरा, रखण सबूरा, रूढियाला।
रयत रखवाला, आव अंताला, भारत वाला, भुरजाला।
जिये राजस्थानी, रखवाला।।[…]