🍀डोकरी – गज़ल🍀

बैठी घर रे बार डोकरी।
किणनें रही निहार डोकरी।।
थाकी बैठी आज डोकरी।
राखी घर री लाज डोकरी।।
हाथां पकड़्यो भाल डोकरी।
मोडा खाग्या माल डोकरी।।[…]
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बैठी घर रे बार डोकरी।
किणनें रही निहार डोकरी।।
थाकी बैठी आज डोकरी।
राखी घर री लाज डोकरी।।
हाथां पकड़्यो भाल डोकरी।
मोडा खाग्या माल डोकरी।।[…]
એના જીવનમાં ફેરફાર જી.
જીવનમાં ફેરફાર, બેઉ છે પાણીમાં વસનાર-એના.ટેક
મીન દેડક માજણ્યાં બેય, જળ થકી જીવનાર જી (2),
જળમાં જન્મયાં, જીવ્યાં જળમાં(2), જળ સંગે વેવાર-એના.1
નીર થકી એ નોખુ પડતાં માછલું મરનારજી (2),
જળ સુકાતાં દેડકા જોઈ લ્યો (2) કાદવમાં રમનાર-એના.2 […]
कढ करगिल परवांन जवानां वाह जवानां।
भारत री थै शान जवानां वाह जवानां ।
जग ने दियौ जताय भीम भारत री फौजां,
जस चढ्यौ असमान जवानां वाह जवानां।
भुल्यौ भगनी भ्रात बंध्यो हित देश बचावण,
धी रौ कियौ न ध्यान जवानां वाह जवानां।[…]
।।छंद – सारसी।।
मनधार मत्ती सज सगत्ती, आप रत्थी आविया।
पोक्रण पत्ती बड कुमत्ती, छोह छत्ती छाविया।
तन झाल़ तत्ती सूर सत्ती, रूक हत्थी राड़वै।
बढ चरण वंदू शील संधू, मात चंदू माड़वै।।1[…]
नोख (कवियान) चारणो की जागीरो में से एक ऐसी जागीर है जो एक बहुत बड़े राजपूती सँघर्ष के फलस्वरुप अस्तित्व मे आयी। नोख एक राजपूत और एक चारण कवि की घनिष्ठ मित्रता का परिणाम है। आज राजस्थान राज्य के पाली जिले मे राजपूतों की उदावत खाँप का प्रभुत्व है। ये महान वीर यशस्वी राव उदाजी के वँशज है। राव उदाजी जोधपुर के सँस्थापक महावीर जोधाजी के पौत्र थे। राव उदाजी और खेतसी जी कविया की बहुत अच्छी मित्रता थी, ये मित्रता चँदरवरदाई और सम्राट पृथ्वीराज चौहान की तरह थी। राव उदाजी और खेतसीजी दोनो उस वक्त जवान थे। वे हर वक्त […]
» Read moreसांयाजी झूला महान दानी, परोपकारी भक्त कवि थे। वे कुवाव गांव गुजरात के निवासी थे। इनका लिखा हुआ “नागदमण” भक्ति रस का प्रमुख ग्रन्थ है|
भक्त कवि श्री सांयाजी झूला कृत “नागदमण”
।।दोहा-मंगलाचरण।।
विधिजा शारदा विनवुं, सादर करो पसाय।
पवाडो पनंगा सिरे, जदुपति किनो जाय।।…१
प्रभु घणाचा पाडिया, दैत्य वडा चा दंत।
के पालणे पोढिया, के पयपान करंत।।…२
किणे न दिठो कानवो, सुण्यो न लीला संघ।
आप बंधाणो उखळे, बीजा छोडण बंध।।…३
अवनी भार उतारवा, जायो एण जगत।
नाथ विहाणे नितनवे, नवे विहाणे नित।।…४
।।छंद – भुजंगप्रयात।।
विहाणे नवे नाथ जागो वहेला।
हुवा दोहिवा धेन गोवाळ हेला।।
जगाडे जशोदा जदुनाथ जागो।
मही माट घुमे नवे निध्धि मांगो।।…१[…]
बूंदी राज्य में बारहट पद सामोर शाखा के चारणों के पास था परन्तु भावी के कर्मफल से उनकी कोई संतान नहीं हुई तथा कालांतर में उनका वंश समाप्त हो गया।
इस समय मेवाड़ में दरबारी कवि ईसरदास मीसण थे जिनके पूर्वज सुकवि भानु मीसण से उनके सत्यवक्ता बने रहकर मिथ्या भाषण करने के अनुरोध को नहीं मानने की जिद से कुपित होकर चित्तौड़ के तत्कालीन राणा विक्रमादित्य ने सांसण की जागीर के मुख्य गाँव ऊंटोलाव समेत साथ के सभी उत्तम गावों की जागीर छीन कर केवल रीठ गाँव उनके लिए छोड़ दिया था। […]
परणाम करूँ विभुव्यापक को ब्रह्म वेद सरूप उद्धारक को ।
निरवाण सरूप महा शिव को दिस ईशन के प्रभुधारक को ।।
थिरहो निज रूप गुणातित भेद नही मनसा कुछ भीतर में ।
नभ चेतन रूप सदा शिव शंकर ऐक अनादि चराचर में ।।
पट धारण अंबर आप करो शशि सूरज तेज उजाळक को ।
परणाम करूँ विभुव्यापक को ब्रह्म वेद सरूप उद्धारक को।।1[…]
कटी फेंट छोरन में, भृकुटी मरोरन नें,
शीश पेंच तोरन में, अति उरजायके,
मंद मंद हासन में, बरूनी बिलासन में,
आनन उजासन में, चकाचोंध छायके,
मोती मनी मालन में, सोषनी दुशालन में,
चिकुटी के तालन में, चेटक लगायके,
प्रेम बान दे गयो, न जानिये किते गयो,
सुपंथी मन ले गयो, झरोंखे दृग लायके. (१) […]
।।छंद रेणकी।।
रट रट मुख राम, निपट झट नटखट, परगट तांडव रुप रचे।
कट कट कर दंत, पटक झट तरु वट, लपट झपट कपि नाच नचे।
दट दट झट दोट, चोट अति चरपट, लट पट दाणव मार लहै।
जय जय हनुमान, जयति जय जय जय, बिकट पंथ बजरंग बहै।1। […]