गज़ल-हाल मनवा!

हाल मनवा! दूर अनहद देस; चालां,
ले कमंडल, प्हैर भगवौ भेस; चालां।।१
चिट्ठीयां नी डाकियौ नी है कबूतर,
तोई कुण भेजे रियौ संदेश; चालां।।२
बाट में रूकणौ बटाऊ ठीक है पण,
पंथ री दूरी लखै हम्मेश; चालां।।३
छाछ, बाटी, राबडी रो स्वाद लेवा,
गांव, ढांणी, झूंपडी के नेस; चालां।।४ […]