फागण रा दूहा
तन तो पिव मैं रंग लूं,मन रंगूं किण भाँत|
इण फागण आया नहीं,धणी करी घण घात||१
फागण फूल उछाळतौ,अलबेलौ अणपार|
आयौ मन रे आंगणै,करै प्रेम मनुहार||२
फागण इतरो फाट मत,फूल न मौ पर फैक|
विरहण धण री वेदना,समझ करे सुविवेक||३ […]
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तन तो पिव मैं रंग लूं,मन रंगूं किण भाँत|
इण फागण आया नहीं,धणी करी घण घात||१
फागण फूल उछाळतौ,अलबेलौ अणपार|
आयौ मन रे आंगणै,करै प्रेम मनुहार||२
फागण इतरो फाट मत,फूल न मौ पर फैक|
विरहण धण री वेदना,समझ करे सुविवेक||३ […]
होळी में झोळी भरै, रंगों री अणपार|
सह टोळी फागण सखी,आयौ आपण द्वार||१
साजण तन भल रंग मत ,पण मन रँग दे जोर|
तन रंग मिटसी झीलतां,मन रँग मेटण दोर||२
मन चुनरी मन भावणी,तन री रेशम कोर|
पिचकारी भर प्रेम री,ढोळो मत चितचोर||३ […]
मन मन्दिर रा मावड़ी,करणी खौल कपाट।
सुन्दर रचना कर सकु,करणी रुप विराट।।
आदी अहुकारण
आदि अहुकारण सकल़ उपासण मान सुधारौ जौगमाया।
पंचो तंत सारै त्रिगुण पसारै घिर ब्रह्मन्ड थया।
नखतर निहारिका नैम नचाया ध्रुव गगन गंगा धरणी।
नित नमस्कार नवलाख निरंतर करणी करणी जय करणी ।।1।। […]
छंदःत्रिभंगी
असूरां सर कोपं,म्रजाद लोपं,खप्पर खोपं, धींखारी।
अरकां सम ओपं,मलकै मोपं,सिंघे चोपं किं स्वारी?
गिरा श्रुति गोपं,करे विलोपं,पद व्रत पापं,परजाळी।
चामुंडा चंडी,परम प्रचंडी,वैरि विहंडी,बिरदाळी॥1॥[…]
કાળજાનો કટકો
કાળજા કેરો કટકો મારો, ગાંઠથી છૂટી ગ્યો,
મમતા રુએ જેમ. વેળુમાં, વીરડો ફૂટી ગ્યો…..
કાળજા કેરો કટકો મારો….
છબતો નઇ જેનો ધરતી ઉપર,પગ આજ થીજી ગ્યો; […]
मायड भासा ने मिळे, राज मानता राज।
औ अरजी है आप नें, मेहाई महराज।।७२१
डिंगळ डिगती डोकरी, थां बैठां किण काज।
मायड दीजो मानता, मेहाई महराज।।७२२
डिंगळ री डणकार रा, बोल्या सब कविराज।
मायड दीजो मानता, मेहाई महराज।।७२३
डिंगळ डिगती डोकरी, थारै हाथां लाज।
मायड दीजो मानता, मेहाई महराज।।७२४[…]
धारी सिर जिण धाबळी, कंकण वळे करां ज।
झणण पद शुभ झांझरां, मेहाई महराज।।६८५
माळा फेरत मावडी, मढ बैठ’र रिधुराज।
रात दिवस हिरदै बसो, मेहाई महराज।।६८६
सिंदुर चरचित भाळ शुभ, हेम हार गळ राज।
मालक मां देशांणमढ, मेहाई महराज।।६८७
काळी प्हैरी कांचळी, बिछिया पग रिधु राज।
कर त्रिशूळ किनियांण रे, मेहाई महराज।।६८८[…]
भुवनेशी कतियांण री, कविता कथवा काज।
आखर दीजो ओपता, मेहाई महराज।।६३३
भजां मात भुवनेश्वरी, मुकुट चन्द्र सुभ साज।
तनें नमन मां त्रंबका, मेहाई महराज।।६३४
मंद मंद मुख हास ;कर, पाशांकुश वरदा ज।
अभयप्रदा, सोहत उमा, मेहाई महराज।।६३५
देव तवन नित दाखता, गद गद कँठ सूं राज।
किनियाणी करूणाकरा, मेहाई महराज।।६३६[…]
काढो शुभ कादंबरी, करणी मां रे काज।
आरोगेला ईसरी, मेहाई महराज।।६२२
सरल मनां सुणजे सगत, गरल घणो मन म्हां ज।
बाळ जाण बगसो भवा, मेहाई महराज।।६२३
सदा ह्रदय सरसावजे, स्नेह सुधा सरिता ज।
अवगाहण मिस आवडा, मेहाई महराज।।६२४
किनियांणी कोटिक गुनां, रोज करूं रिधु राज।
बाळ जांण मां बगसजै, मेहाई महराज।।६२५[…]
स्तुति शक्रादय री सरस, कविता कीरत राज।
मांड रह्यो सुण मावडी, मेहाई महराज।।५५२
अरिकुलभयदा अंबिका, क्रोधित नयणां मां ज।
जया रूप जोगण जबर, मेहाई महराज।।५५३
काळी कांठळ सम कहूं, सिर अध ससि जिण साज।
जया रूप माता जयो, मेहाई महराज।।५५४
कर मँह शंख कृपाण जिण, चक्र त्रशूळां साज।
जया रूप जोगण जबर, मेहाई महराज।।५५५[…]