हिंगळाज माताजी री स्तुति – कविराज शंकरदानजी जेठीभाई देथा (लींबडी)
॥छंद हरिगीत॥
प्रणमामि मातु प्रेम मूरति, पार्वती परमेशरी।
शांति क्षमामय कृपासागरि, सुखप्रदा सरवेशरी।
सेवक शिशु रा दुरित दारिद, विघ्न दोष विदारणी।
आदि शक्ति नमो अंबा, हिंगळा अघहारिणी॥1
सब देवियां शिरमौड सातांद्वीप री राजेशरी।
कोहला परवत कंदरा री निवासी निखिलेशरी।
आनंद वदनी आशुतुष्टा, कृपा मंगळ कारिणी।
नकळंक रुपा नमो अंबा, हिंगळा अघहारिणी॥2 […]