कांई आपरै आ मनगी कै म्है आपनै मार दूं ला?

भरमसूरजी रतनू आपरै समय रा मोटा कवि अर पूगता पुरुष हा। इणां नै मेड़ता रा राव जयमलजी मेड़तिया मौड़ी अर बासणी नामक दो गांम देय कुरब बधायो। भरमसूरजी रा डिंगल़ गीत उपलब्ध हैं। इणी रतनू भरमसूरजी री ई वंश परंपरा में ईसरदासजी रतनू हुया। जद अकबर चित्तौड़गढ माथै आक्रमण कियो उण बखत जयमलजी मेड़तिया री सेना में रतनू भरमसूरजी अर ईसरदासजी मौजूद हा। कह्यो जावै कै भरमसूरजी इण लड़ाई में वीरगति वरी–

चारण छत्री भाइयां, साच बोल संसार।
चढियो सूरो चीतगढ, अंग इधक अधिकार।।

जयमलजी मेड़तिया जैड़ै जबरेल वीर री वदान्य वीरता नै अखी राखण सारू ईसरदास जी ‘जयमल मेड़तिया रा कवत्त’ लिखिया। आ रचना डिंगल़ री महताऊ ऐतिहासिक रचना मानी जावै। रचना री एक बांनगी कवि री मेधा नै दरशावण सारू-[…]

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पछै ओ माथो कांई काम रो?

आज जितरो भौतिक विकास हुयो है उतरी ईज मानसिक द्ररिद्रता बधी है। मिनखपणो, नैतिकता, संवेदनावां, अर जीवणमूल्यां रो पोखाल़ो इण लारलै वरसां में जिण तेजी सूं निकल़ियो है उणसूं इण दिनां आंरी दुहाई देवणियो अजै तो फखत गैलसफो ईज बाजै, बाकी आ ई गति रैयी तो लागै कै आवण वाल़ै दिनां में आंरो नाम लेवणियो बचणो ई मुश्किल है।

एक उवो ई बखत है जद चीकणी रोटी जरूर जीमता पण चीकणी बात करण सूं चिड़ता। आपरै साथै रैवणिये या आस-पड़ौस माथै आफत आयां उणरै साथै हरोल़ में रैता अर मदत कर’र परम सुख मानता। क्यूंकै उण काल़खंड रा मिनख वाच -काछ निकलंक हुवता। आपरै गांम कै पडौसी माथै आफत आयां पछै पाछ पगलिया नीं सिरकता बल्कि आगमना हुय आपरो माथो देवण में गुमेज मानता। जद ऐड़ै मिनखां री ऐड़ी बातां पढां कै सुणां तो इयां लागै कै उवै मिनख जावता उवै बातां अर बखत आपरै साथै लेयग्या-

वल़ता लेग्या वांकजी, सदविद्या गुण संग।

ऐड़ी ई गीरबैजोग एक बात है मोरझर रै सुरताणिया पताजी वैरावत अर अकरी रै रतनू भोजराज खेंगारोत री।[…]

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सो सुधारण ! सो सुधारण!!

रातिघाटी के युद्ध में परास्त होकर बाबर का पुत्र कामरान राव जैतसी से भयातुर होकर भागा जा रहा था। किंवदंती है कि जब वो छोटड़िया गांव से निकल रहा था कि उसके मुकुट में लगी किरण(किलंगी) गिर गई। वो बीकानेरियों के शौर्य से इतना भीरू हो गया था कि उसने उस किरण को रुककर उठाना मुनासिब नहीं समझाऔर वो बिना उसकी परवाह किए अपनी राह चलता बना। यह गांव बीकानेर के संस्थापक राव वीका ने जीवराज सूंघा को इनायत किया था। कहतें हैं कि यहां छोटा मोयल रहा करता था। जब यह गांव सूंघों को मिला तो उसने इच्छा व्यक्त […]

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ऐतिहासिक तेमड़ाराय मंदिर देशनोक का करंड, रतनू आसराव नै दिया था अपनी बेटी को दहेज

जैसलमेर के महापराक्रमी वीर दुरजनशाल उर्फ दूदाजी जसौड़ को गद्दीनशीन करने में सिरुवा के रतनू आसरावजी का अविस्मरणीय योगदान रहा। दूदाजी भी कृतज्ञ नरेश थे, उन्होंने आसरावजी व उनकी संतति को हृदय से सम्मान दिया। कहतें कि एक बार दूदाजी अपनी ससुराल खींवसर गए हुए थे। खींवसर उन दिनों मांगलियों के क्षेत्राधिकार में था। वहां उनकी सालियों व सलहजों ने उनके साहस की परीक्षा लेने हेतु अपनी किसी सहेली के चोटी में गूंथने की आटी का सर्प बनाकर उनके शयनकक्ष के मार्ग में रख दिया। जब वे सोने जाने लगें तो उनके मार्ग में सर्पाकार वस्तु निगाह आई। उन्होंने बड़ी […]

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संवेदना रो प्रवाह!!

आज आपां अपणै आप नै आधुनिक कै विचारवान कैवण में अंकै ई नीं संकीजां पण जद कोई आपांनै पूछै कै आप में संवेदना जीवती है!!तो आपां छ दांत र मूंडो पोलो री गत में ज्यावां। ज्यूं-ज्यूं आपां आधुनिकता रो आवरण ओढण लागा बिंया-बिंया आपां में असंवेदनशीलता पग पसारण लागी। जद ई तो आपां रै पाड़ौस में एक कानी लास माथै कूका रोल़ो मचियोड़ो है तो दूजै कानी उणी लास माथै लोग आपरी रोट्यां सैकण में लागोड़ा है अर आपां बीच में कदै ई इनै मूंडो बताय भला बजां तो कदै ई बिनै मूंडो बताय चातरक बजां!!पण पैला लोगां री कैणी अर रैणी एक सरीखी होती। दूजै रै दुख में दुखी होवणो अर दूजै रै सुख मे सुखी होवणो उणां री आदत रो एक भाग हो, जिणनै छोडणो वे आपरो अभाग मानता। ऐड़ो ई एक किस्सो है चोवटियां जोश्यां रै होल़ी नीं मनावण रो।[…]

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हूं नीं, जमर जोमां करसी!!

धाट धरा (अमरकोट अर आसै-पासै रो इलाको) सोढां अर देथां री दातारगी रै पाण चावी रैयी है। सोढै खींवरै री दातारगी नै जनमानस इतरो सनमान दियो कै पिछमांण में किणी पण जात में ब्याव होवो, पण चंवरी री बखत ‘खींवरो’ गीत अवस ही गाईजैला-

कीरत विल़िया काहला, दत विल़ियां दोढाह।
परणीजै सारी प्रिथी, गाईजै सोढाह।।

तो देथां रै विषय में चावो है-

दूथियां हजारी बाज देथा।।

इणी देथां रो एक गांम मीठड़ियो। उठै अखजी देथा अर दलोजी देथा सपूत होया। अखजी रै गरवोजी अर मानोजी नामक दो बेटा होया। मानोजी एक ‘कागिये’ (मेघवाल़ां री एक जात) में कीं रकम मांगता। गरीब मेघवाल़ सूं बखतसर रकम होई नीं सो मानोजी नै रीस आई। वे गया अर लांठापै उण मेघवाल़ री एकाएक सांयढ आ कैय खोल लाया कै – “थारै कनै नाणो होवै जणै आ जाई अर सांयढ ले जाई।”[…]

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धिन चंदू राखी धरा!!

उन्नीसवों सइको राजस्थान में उथल़-पुथल़ अर अत्याचारां रो रैयो। उण काल़ खंड में केई राजावां अर ठाकरां आपरै पुरखां री थापित मरजादावां रै खिलाफ काम कियो। जिणनै केई लोगां अंगेजियो तो केइयां प्रतिकार ई कियो। उण काल़खंड में चारणां रै बीसूं सांसणां में जमर अर तेलिया होया।
चारणां नै दिरीजण वाल़ो गांम सांसण बाजतो। वो गांम हर लागबाग सूं मुक्त होवतो अर राज कोई दखल नीं दे सकतो। आ एक थापित मरजादा ही। जद जद राज मरजादावां उलांगण री हद तक आयो तो चारणां अहिंसक रूप सूं राज नै रोकण सारू धरणो(सत्याग्रह)जमर अर तेलिया किया। इण तीनूं ई स्थिति में खुद ई कष्ट पावता पण जनता कै राज संपत्ति नै किणी भांत सूं हाण नीं पूगावता।
खुद उत्सर्ग कर देता पण सरणागत कै मरजादा नै नीं डिगण देता। जदकै आज इणरै उलट है। आज केई तबका आपरै प्रदत्त अधिकारां री रक्षार्थ हिंसक होय तोड़फोड़, निर्दोषां रा भोड-भंजण सैति कितरा ई अजोगता काम करै। इणरै उलट चारण कटारियां खाय कै जमर कर सत्य समर रा अमर सेनानी बणता।
उण कालखंड रा ऐड़ा घणा किस्सा है पण एक गीरबैजोग किस्सै सूं आपनै रूबरू करावूं।[…]

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जोगा! दो जोगा!!

जद-जद हथाई में बैठां तद-तद जोगां री बात सुणां ! बात तो नाजोगां री ई सुणां पण अंजस फखत जोगां माथै ई आवै नाजोगां माथै नीं। जोगो बणणो दोरो है। जोगो बणण सारू मन मोटो राखणो पड़ै। जिण-जिण नरां मन मोटो राखियो, वांरो सुजस संसार भाखियो। इण सुजस रै प्रताप आज ई फजर री वेल़ा में लोग वांनै याद करै। ईशरा-परमेसरा कितरी सटीक कैयी कै-

दीयां रा देवल़ चढै।

देवैला वे अमर रैवैला!! इणमें कोई मीनमेख नीं है। आज सुरतसिंह, जोगो पड़िहार अर जोगो भाटी किण जागा कै किण गांम रा होता आ लोग पांतरग्या पण वे जोगा हा !आ नीं पांतरिया। जद ई तो किणी कवि कैयो कै सुरतै जिसा सपूत, हर दिशा में एक-एक होवै तो चारण-राजपूत संबंध कदै ई जूना नीं होवता-

सुरतै जिसा सपूत, दिस-दिस में हिक-हिक हुवै।
चारण नै रजपूत, जूना हुवै न च्यार जुग।।[…]

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ओ बैन-बेटी रो अपमान है !!

बीकानेर रो गणगौर तिंवार चावो। इणरो उछब देखणजोग होवतो। गांम-गांम में गवर री सवारी निकल़ती अर कुए कै तल़ाब पाणी पी पाछी आवती। गैणां सूं लड़ाझूम गवर री सवारी साथै बांकड़ली मूंछां अर बूकियां में गाढ वाल़ा मरद, करद ले रक्षा में बैता।

गवर लुगायां रै कोड अर उमंग रो तिंवार सो बूढी-बाल़ा अर परणी-कुंवारी घणै हरख रै साथै मनावै-

मनचायो वर मांगती, पूजै सब गणगौर।
परणी अमर सुहाग नै, कन्या सुघड़ किशोर।।[…]

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वीरा तूं बणजै जायल रो जाट!!

बात यूं चालै कै दिल्ली माथै तुगलक वंश रो शासन हो। हर दिल्ली रै शासक री कुदीठ नागौर माथै रैयी क्यूंकै आ धरा उपजाऊ ही

सियाल़ो खाटू भलो, ऊनाल़ो अजमेर।
नागाणो नितरो भलो, सावण बीकानेर।।

इण वास्तै इण धरा माथै घणकरोक शासन दिल्ली रो रैयो। दिल्ली शासन नै कर बीजो उगराय दिल्ली पूगतो करण सारू
उठै रै शासकां जायल रै गोपाल़जी जाट जिणां री शाखा बासट अर खिंयाल़ै रा धरमोजी जाट जिणांरी शाखा बिडियासर ही नै ओ जिम्मो दे राख्यो हो।[…]

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