रघुवरजसप्रकास – किसनाजी आढ़ा

चारण किसनाजी आढ़ा विरचित
रघुवरजसप्रकास
संपादक : डॉ.सीताराम लालस
राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर
वि.सं. २०१७ (ई.सं. १९६०)
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होरी के पद

।।होरी पद-१।।

होली! खेलत श्री यदुबीर।
छिड़कत लाल गुलाल बाल पर, अनहद उड़त अबीर।।१

बरसाने की सब ब्रजबाला, आई होय अधीर।
भर भर डारी अंग पिचकारी, भीगै अंगिया चीर।।२[…]

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श्री मोरवड़ा जुन्झार जी – कवि रामदान जी

।।श्री जुन्झार जी।।

सिरोही राजा सोखियो, दुश्मण लीधो देख।
जद्ध किधो महियों जबर तन मन दही न टेक।।

अहि भ्रख भूपत आदरयो, कीध भयंकर कोम।
केशर नृप उन्धी करी, सिरोही रे सोम।।[…]

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गीत भाटी तेजमालजी रांमसिंहोत रो

इमां अथग आतंक रो घालियो अवन पर, चहुवल़ घोर अनियाव चीलो।
बहंता जातरु घरां में बाल़ पण, हियै सुण बीहता नांम हीलो।।1
असुर उण हीलियै बीहाया अनेकां, कितां नै लूंटिया सीस कूटै।
घणां रा खोसनै मार पण गीगला, लखां नै उजाड़्या लियै लूंटै।।2[…]

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दुर्गादास राठौड़ रो गीत तेजसी खिड़िया रो कहियो

असपत नूं लिखै नवाब इनायत, दाव घाव कर थाकौ दौड़।
मारूधरा मांहै मुगलां नूं, ठौड़ ठौड़ मारै राठौड़।।

कारीगरी न लागै कांई, घाव पेच कर दीठा घात।
किलमां नूं मारता न संकै, मरवि सूं न डरै तिलमात।।[…]

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वैश्विक महामारी “कोरोना”

वैश्विक महामारी “कोरोना” से निजात पाने के लिए सभी अपने अपने स्तर से प्रयासरत हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान कर रहे हैं, राजनेता इस चुनौती का सामना करने के अनुरूप नीतियाँ बना रहे हैं, सरकारी कर्मचारी अथक प्रयास करके इन नीतियों को कार्य रूप में परिणित कर रहे हैं, व्यवसायी इस विषम परिस्थिति से जूझ रहे तन्त्र को आपदा राहत कोष में आर्थिक मदद कर रहे हैं, स्वयंसेवी संस्थाएं इस परिस्थिति के मारे अपार जन समुदाय को भोजन एवं रात्रि विश्राम जैसी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करने की दिशा में जमीनी स्तर पर कार्य कर रही है, चिकित्सक इस महामारी से संक्रमित मरीजों […]

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गीत कुशल जी रतनू रे वीरता रो बगसीराम जी रतनू रचित

राजस्थान मे चारण कवि ऐक हाथ मे कलम तथा दूसरे हाथ मे कृपाण रखते थे। महाराजा मानसिंह जी जोधपुर के कहे अनुसार रूपग कहण संभायो रूक। ऐक बार मानसिंह जी का भगोड़ा बिहारी दास खींची को भाटी शक्तिदान जी ने साथीण हवेली मे शरण दी, इस पर मान सिह जी ने क्रुद्ध होकर फोज भेज दी। शरणागत की रक्षा हेतु भाटी शक्तिदान जी ऐवं खेजड़ला ठाकुर सार्दुल सिंह जी ने सामना किया। इस जंग मे मेरे ग्राम चौपासणी के उग्रजी के सुपुत्र कुशल जी रतनू ने पांव मे गोली लगने के बाद भी युद्व किया।
उनकी वीरता पर तत्कालीन कवि बगसीराम जी रतनू ने निम्नलिखित डिंगल गीत लिखा जो यहाँ पेश है।

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गीत पालवणी

कुरसी तूं तो सदा कुमारी।
थिर तन लचक बणी रह थारी।
बदन तिहारै सह बल़िहारी।
वरवा तणै विरध ब्रह्मचारी।।1

कुण हिंदू कुण मुल्ला-काजी?
तूं दीसै सगल़ां नै ताजी।
रूप निरख नै सह रल़ राजी।
बढ बढ चहै मारणा बाजी।।2[…]

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मां करणी जी रो गीत – कवि खेतसी बारट मथाणिया कृत

।।गीत।।
विमल देह धारीयां सगत जांगल धर विराजै,
थांन देसांण श्री हाथ थाया।
उठै कव भेजियो राज करवा अरज,
जोधपुर पधारो जोगमाया।।१।।

विनती सुणै रथ जुपायो बेलीयां,
सहस फण सेलियां जदन सारा।
तेलीयां वीर सुत वाजता टांमका,
लाख नव फैलीया व्यूह लारा।।२।।[…]

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