इससे ज्यादा क्या होगा?

धर्म पूछ कर गोली मारी, इससे ज्यादा क्या होगा? थर्राई मानवता सारी, इससे ज्यादा क्या होगा? चार दिनों का मौन प्रदर्शन नारे और जुलूस यही, जान चुका है अत्याचारी, इससे ज्यादा क्या होगा? कैसे कोई करे भरोसा, इन ऐसे हालातों में, है मजहब के हाथ कटारी, इससे ज्यादा क्या होगा? अच्छा हो आतंकी सारे, पाकिस्तानी ही निकलें, गर निकले घर में गद्दारी, इससे ज्यादा क्या होगा? हिन्दुस्तां की रीत यही है, हाथोंहाथ हिसाब करे, हो जाने दो आरी-पारी, इससे ज्यादा क्या होगा? आठ दशक से झेल रहे हैं, पाक परस्ती की पीड़ा मिल चुकी बेअंत बीमारी, इससे ज्यादा क्या होगा? […]

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सूरां मरण तणो की सोच?

सूरां मरण तणो की सोच?
वीर को मृत्यु की क्या चिंता?

संदर्भपहलगाम में गोली के भय से कलमा पढ़कर प्राण बचाने के संदर्भ में

मैं आथूणै राजस्थान का निवासी हूं। जहां पग-पग पर ऐसे नर-नाहरों की पाषाण पूतलियां स्वाभिमान से सिर ताने खड़ी है, जिन्होंने धर्म, धरती, गौरक्षा और स्त्री सम्मान की रक्षार्थ सिर कट जाने पर भी रणांगण में शत्रुओं का संहार करते रहे। उन्होंने मृत्यु के आगत भय से धर्म की ध्वजा को नहीं छोड़ा‌‌। उन्होंने मरणा श्रेयष्कर समझा पर दूसरे धर्म का कलमा पढ़ना स्वीकार नहीं किया। उन्होंने स्पष्ट उद्घोषणा की कि-[…]

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हे पंथी! यह संदेश तेजमाल भाटी को कह देना।

आजका संदर्भ-जाओ मोदी को बता देना।

हम पढ़ते, कहते और सुनते भी है कि काश्मीर हमारा भारत का मुकुट मणि है। लेकिन हर दूसरे दिन ऐसी दिल दहलाने वाली घटनाओं के विषय में सुनते और पढ़ते हैं तो लगता नहीं कि कश्मीर हमारा है।

कविराज बद्रीदानजी कविया ने कश्मीर पर कुछ दोहे लिखे तो उनमें से एक यह था कि-

लड़ पंजाबी बंगाल ली, सातूं लीनी सिंध।
काश्मीर लेवण कसै, हार हुई कै जयहिंद।।

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ओ कोरोना पाछो आयो

ओ कोरोना पाछो आयो।
टाबरियां मिल ढोल घुरायो।
नव्वीं तक की छुट्टी होगी,
दसवीं वाळां मुँह लटकायो।
निर्देशकजी सिर खुजलायो।
ओ कोरोना पाछो आयो।।01।।[…]

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चुगलखोर री चावना

सजन सबै संसार नैं, चुगली हंदो चाव।
गजादान चुगली बिना, बंतळ बेरस साव।
बंतळ बेरस साव, हुई बिन हुई हथाई।
भरै पेट में गैस, रंच नहिं रितै रिताई।
निंदा-रस निठतांह, रस-नौका मझधार में।
शोध-बोध-संबोध, सुकवि कहै संसार नैं।।01।।[…]

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मज़दूरां री पीड़

मज़दूरां री पीड़ पिछाणै इसड़ी आँख बणी ही कोनी
इण पीड़ा नै तोल दिखाद्यै इसड़ी ताक तणी ही कोनी

मज़दूरां री आ मजबूरी हर मजबूरी सूं मोटी है
म्हांरै चीज असंभव जग में, वा राम नहीं, बस रोटी है[…]

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वैश्विक महामारी “कोरोना”

वैश्विक महामारी “कोरोना” से निजात पाने के लिए सभी अपने अपने स्तर से प्रयासरत हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान कर रहे हैं, राजनेता इस चुनौती का सामना करने के अनुरूप नीतियाँ बना रहे हैं, सरकारी कर्मचारी अथक प्रयास करके इन नीतियों को कार्य रूप में परिणित कर रहे हैं, व्यवसायी इस विषम परिस्थिति से जूझ रहे तन्त्र को आपदा राहत कोष में आर्थिक मदद कर रहे हैं, स्वयंसेवी संस्थाएं इस परिस्थिति के मारे अपार जन समुदाय को भोजन एवं रात्रि विश्राम जैसी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करने की दिशा में जमीनी स्तर पर कार्य कर रही है, चिकित्सक इस महामारी से संक्रमित मरीजों […]

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आजादी री ओट अठै…

आजादी री ओट अठै।
पल़र्या देखो झोट अठै।
अभिव्यक्ति री ओट ओल़ावै, पसर रही नित खोट अठै।।

भाषा रो पोखाल़ो कीनो।
संस्कृति नै पाणी दीनो।
भरी सभा में भलां देखलो, शिशुपाल़ रो मारग लीनो।।[…]

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बैश कीमती बोट – कवि मोहनसिंह रतनू (चौपासनी)

आगामी दिनो मे पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं, मतदान किसको करना हे इसके लिए कवि ने एक गाइडलाइन बनाई है। शांत सम्यक भाव से सही निष्पक्ष स्वंतत्र होकर मतदान करें।

दिल मे चिंता देश री,मनमे हिंद मठोठ।
भारत री सोचे भली,बी ने दीजो बोट।।

कुटलाई जी मे करै,खल जिण रे दिल खोट।
नह दीजो बी निलज ने,बडो कीमती बोट।।[…]

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ये षड्यंत्री दौर

ये षड्यंत्री दौर न जाने,
कितना और गिराएगा।
छद्म हितों के खातिर मानव,
क्या क्या खेल रचाएगा।

ना करुणा ना शर्म हया कुछ,
मर्यादा का मान नहीं।
संवेदन से शून्य दिलों में,
सब कुछ है इंसान नहीं।।[…]

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