इससे ज्यादा क्या होगा?

धर्म पूछ कर गोली मारी, इससे ज्यादा क्या होगा? थर्राई मानवता सारी, इससे ज्यादा क्या होगा? चार दिनों का मौन प्रदर्शन नारे और जुलूस यही, जान चुका है अत्याचारी, इससे ज्यादा क्या होगा? कैसे कोई करे भरोसा, इन ऐसे हालातों में, है मजहब के हाथ कटारी, इससे ज्यादा क्या होगा? अच्छा हो आतंकी सारे, पाकिस्तानी ही निकलें, गर निकले घर में गद्दारी, इससे ज्यादा क्या होगा? हिन्दुस्तां की रीत यही है, हाथोंहाथ हिसाब करे, हो जाने दो आरी-पारी, इससे ज्यादा क्या होगा? आठ दशक से झेल रहे हैं, पाक परस्ती की पीड़ा मिल चुकी बेअंत बीमारी, इससे ज्यादा क्या होगा? […]
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