तत्व ज्ञान – कवि भंवर दान जी झणकली
🎆~~गीत प्रहास~~🎆
अवल शब्द ॐ कार सूं रची काया अलख ।
सोहम मन मोह सूं रची स्वासा ।
स्वास् सूं सोहम कर ॐ ओउम् कर सोहँ सो ।
ॐ सूं सब्द ररंकार आसा ।।
जन्म अर मरण आवागमन जगत माँ ।
विधाता कर्म मिथ्या विचारै ।
च्यार खाणी वपू रूप सो चराचर ।
पांच महाभूत त्रिगुण पसारे ।।
नाव भव तारणी छती आगम निगम ।
कथी सो च्यार वाणी कहावे।
पश्यति वैखरी अवर मघमा परा ।
जाणिया एक आत्म जतावे।।
मनो विघ्यान् आनन्द अन प्राण मय।
सुक्ष्म स्थूल कारण शरीर ।
जागरण सुष पति सुख जाणता।
हे वही चेतना रूप हीरा ।।
श्रवण अरपण सखा दास सेवा सम्भरण ।
वन्दना प्रेम अरचन विचार ।
भगती नवधा करे व्रत तीर्थ भ्रमन।
धीरता त्रधा विवेक धारे ।।
जीघ्यासा प्रेम वैराग जरणा जरे।
संत सत संग सुण जाय सांमा।
पचीसों प्रकर्ती पांच विकार पुनि।
तीन कर्म दोस मेटे तमामा।।
सब्द अस्पर्स अरु रूप रस गंध सूं।
रोक मन इंद्रिय धीर राखे।
जांणीयो उगम अण पंथ गोरख जती।
सप्त रिख राज कवि भँवर साखे।।
~~कवि भंवर दान जी झणकली
(संग्रहकर्ता भगवान दान)