આઈ કામબાઈ (आई कामबाई) – ઝવેરચંદભાઈ મેઘાણી

જાંબુડા ગામના ચારણો ઘોડાની સોદાગરી કરતા આઠ મહિના દેશાવર ખેડી ખેડી ચોમાસુ ઘરને આંગણે ગાળતા. કંકુવરણી ચારણિયાણીઓ દુઝાણાં વાઝાણાં રાખીને ઘરનો વહેવાર ચલાવતી, ઉનાળાની શીળી રાતે રોજ રાસડે ઘૂમતી અને ગામનાં, ગામધણીનાં, રામનાં ને સીતાનાં ગીતો ગાતી કે- જામ! તારું જાંબુડું રળિયામણું રે પરણે સીતા ને શ્રી રામ આવે રાઘવ કુળની જાન. – જામ. પ્રભાતનો પહોર ઉગમણી દિશામાં કંકુડાં વેરે છે. જાંબુડા ગામની સીમ જાણે સોને ભરી છે. તે ટાણે કામબાઈ નામની જુવાન ચારણી કૂવાકાંઠે બેડું ભરે છે. કાળી કામળીમાં ગોરું મોં ખીલી રહ્યું છે. ઉજાગરે રાતી આંખો હીંગળેભરી ભાસે છે. એની આંખો તો રોજની એવી રાતીચોળ રહેતી: લોક કહેતા […]

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आवड मां रा रास रमण रे भाव रा दुरमिल सवैया

।।दोहा।।
माडेची उछरंग मंडै, सझि पोशाक सुढाळ।
बोलत सह जय जय विमळ, बाजत राग विशाळ॥ 1 ॥

।।छंद – दुरमिला।।
बहु राग बिलावल बाजहि विम्मळ राग सु प्रघ्घळ वेणु बजै।
मिरदंग त्रमागळ भेरिय भूंगळ गोमस सब्बळ वोम गजै।
बहु थाट बळोबळ होय हळोबळ धुजि सको यळ पाय धमै।
शिणगार सझै मुख हास सुशोभित रास गिरव्वर राय रमै॥ 1 ॥

घण बज्जत घुंघर पाय अपंपर लाखूं ही दद्दर पाय लजै।
घण मंडळ घूघर बास पटंबर बोलत अम्मर मोद बिजै।
अति बासव अंतर धूजि धरा जोगण जब्बर खेल जमै।
शिणगार सझै मुख हास सुशोभित रास गिरव्वर राय रमै॥ 2॥[…]

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चिरजा – देशनोक दर्शन की आकांक्षा पुर्ती की – हिंगऴाजदानजी जागावत

।।चिरजा।।
करो जगदम्ब मोहि काबो,
हुवै नां दूर सूं आबो।।टेर।।

पङछायां पङियो रहूं, मन रहे मूरति मांय।
फिरूं फलांगां जा पङूं, छतरां हंदी छांय।।
कहै कुण मोद को माबो।।1।।

खेल करूं कदमां खनै, खटब्यंजन खांऊतीस।
कबुक होय बैठूं खुशी, सजनां हंदै सीस।।
सूरत को होत सरसाबो।।2।।[…]

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आवड माता री स्तुति – अनोपजी वीठू

।।छंद हरिगीत (सारसी)।।
गणेश गणपत दीजिये गत उकत सुरसत उजळी।
वरणंत मैं अत कीरति व्रत शगत सूरत संव्वळी।
वा वीश हथसूं दिये बरकत टाळे हरकत तावडा।
भगवान सुरज करे भगति आद शगति आवडा।।1।।

मामड चारण दुःख मारण सुख कारण संमरी।
दिव्य देह धारण कीध डारण तरण तारण अवतरी।
समर्यां पधारण काज सारण धन वधारण धावडा।
भगवान सुरज करे भगति आद शगति आवडा।।2।।[…]

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जोगमाया रो सपाखरु गीत – कवि बेणूजी

।।गीत-सपाखरु।।
काळी कामाखा कृष्णा कळा कमळ्ळा कराळी क्रोधा,
वामंगा विमल्ला बाळा वसंती विराट।
हरसिध्ध हिंगळाज हेमपुत्री हेला हरा,
मातंगी मंगळा माता मंडे मही माट।।1

कुषमंडा काळरात्र कातयणी भद्रकाळि,
साकुंभरी शैलपुत्री सोख चडा सीत।
चंद्रघंटा चंद्रेसुरी चाँवंड चाळक्कनेची,
जोगणी जगाडों ज्वाळामुखी जंगजीत।।2[…]

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आवाहण गीत सपाखरु – कवि खोडीदान जी

।।गीत सपाखरु।।
बाइ आविए सँकटाँ पडये, तारवाँ चारणाँ बेडो।
नाम रा भामणाँ लियाँ, वधारणी नूर।।
चारणी पधारो मैया, सुधारणी कविसराँ।
हिँगऴाज आदि माता, हाजराहजूर।।1।।

जाऴँधरी गातराड, काळिका भवानी जपाँ।
रवेची अंबिका देवी, कथाँ जगराय।।
वडाँवडी आशापुरा, डुँगरेची थऴाँ वाळी।
माढराणी तुझ नमाँ, भुजाळी मोमाय।।2।।[…]

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मंदोदरी-सूर्पणखा संवाद – बांकजी बीठू

मंदोदरी उवाचः……
ज्वाऴा लगाई कपेश लंक मंदोदरी बोली जठै,
लंका तणो कोट भाई-बैन लेख।
कठै सिया हेर आई नाक कांन लेर आई,
वऴै साई देर आई लंका री विसेख।।1।।

सूर्पणखा उवाचः…….
भोजाई विचार बोल म्हनै ई कहै छै भूंडी,
जांणै नहीं बात उंडी म्हांरै सांमी जोय।
डुलंती द्वै वाट वीच प्रिथी में फूटगी डूंडी,
सांमियां री मूंडी जिका नाक काटै सोय।।2।।[…]

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अवतरण अर प्रवाड़ां रो गीत

।।गीत।।
प्रथम देश जैसाण बीकाण प्रगटी पछैं,
बरजियो भांण बेड़ो उबारियो।
अबै परब्रह्म वाऴी प्रकृति अद्रजा,
धजाऴी मद्र अवतार धारियो।।1।।

बंस रतनूं धनो छात बीसोतरां,
धनो धिन मातरी मात धापू।
बाप सागर धनो सकति मा बापरो,
बाप-मह धिनो शिवदान बापू।।2।।[…]

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डिंगल फेशन – कवि भंवरदान गढवी “मधुकर”

इण पढ्यो लिख्यो री पंगत में, जुनोड़ा आखर कुण जांणे।
नखरा कर नये जमांने रा, तिरछी हद रागां लो तांणे।।
जा जोर तमासा कर जितरा, जोवे जनता मन जोकरिया।
वाजे आधुनिक वायरियो, डिंगल फेशन कर डोकरिया।।१

ऊचे शब्दां रा अरथ करे, वो कूंत करणिया रैया कठे।
जुनी भाषा ने जांणणिया, अब देख किता सच कया अठे।।
तड़का बाजे लै ताड़ी रा, हाका कर लड़का होकरिया।
वाजे आधुनिक वायरियो, डिंगल फेशन कर डोकरिया।।२[…]

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मन अनुरागी माव रो

मन अनुरागी माव रो, रागी औ तन राम।
लागी लगनी लाल री, बजै बीण अठजाम।।१

गावूं जस गोपाल रो, रोज सुणावूं राग।
लगन लगावूं लाल सूं, पावूं प्रेम अथाग।।२

आव!आव! री रट लियां , बैठौ आंगण-द्वार।
बोलावूं बीणा बजा, झणण करे झणकार।।३

सांई!थारी साँवरा, गाई जिण गुण गाथ।
उण पाई संपत अचल, गात गात वध जात।।४[…]

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