भगवान ना ओळुम्भा २०२५ मे काळ पड़ने पर – कवि स्व. भँवरदान जी वीठू “मधुकर” (झणकली)
॥छन्द जात झुलणा॥
अनादी वखत सूं तुमारी आस पर, जला कर अटल विश्वास जोती।
मरुधरा वासीयां कष्ट मोटा आया, पेट बांधे पढी पोथी।
ग्वाळ गोपाळ रा गीत गाया उठे, आज क्यां धेन माता उदासी।
आफती निवारण आवजो ईश, जगदीश वर तुम्हारी पेट जासी,
ए प्रभु पेट पाल्यां बिना पेठ जासी ॥१॥ […]