गजल

कांई थांने याद है हा पोर खिलिया फूल हरियल बाग में!
नाचता हा मोर गाती कोयलां इण ठौड पंचम राग में!
डोलता तरु डाळ सौरम लेण मिस हर पळ अली भाळे कळी,
बीण, डफ, मंजीर जिम गुंजार जाणे घुळी सोरठ राग में!

» Read more

साँवरियौ रे लोल !

🌸(दोहा -गीत)🌸

नेह झरै नित नैण में, पलकां वाळी पोळ।
कहौ सखी बा कूण है?, सांवरियौ रे लोल।।१

आली !लाली आभ भर, कंकू केसर ढोळ।
आवै मन रे आंगणै, साँवरियौ रे लोल।।२

मुखडौ टुकडौ चांद रो, पूनम रे ज्यूं गोळ।
निरखण दीजै नैण सूं, सांवरियौ रे लोल।।३

» Read more

बारहमासा – भाव नगर कविराज पिंगल शी पाता भाई नरेला

।।छंद त्रिभंगी।।

आषाढ ऊच्चारं, मेघ मलारं, बनी बहारं जलधारं।
दादुर डकारं, मयुर पुकारं, सरिता सारं विस्तारं।
ना लही संभारं, प्यास अपारं, नंद कुमारं निरधारी।
कहे राधे प्यारी, मैं बलिहारी, गौकुळ आवो गीरधारी !!

» Read more

आपाणी मायड़ भाषा सोशल मीडिया पर छायगी

आज रे मायड भाषा पेज दैनिक युग पक्स में छपियौडो डिंगळ री डणकार रे बारे में म्हारौ इन्टरव्यू। सगळा हेताळुवां रो आभार जिका इण ग्रुप ने एक सार्थक ग्रुप बणायौ है। आभार खास कर आदरणीय डा गजादान सा शक्तिसुत, आदरणीय गिरधर सा रतनू दासोडी, आदरणीय नवल जी जोशी, आदरणीय मोहन सिंह जी रतनू, आदरणीय राजेन्द्र स्वर्णकार साहब, आदरणीय चंदन सिंहजी भाटी, आदरणीय मोरारदान जी सुरताणिया, आदरणीय मनोज सा मीसण अर दूजा सारां सदस्य मित्र, सुभ चिंतकां रो पण आभार। सारां आदर जोग सदस्यां रो पण अंतस रे ऊंडाण सूं आभार। — नरपत आसिया “वैतालिक” […]

» Read more

घूंघर छम छम छम छम बाजै

घूंघर छम छम छम छम बाजै!
रसन पटांगण रमै चारणी, सबद बीण कर साजै!

उजळआनन, हार अनुपम, स्फटिक धवल सुभधारी!
आई नाचै रसन अखाडै, वसन स्वेत वरदा री!
घम घम घम घम पद रव गूंजै, जाणक घन नभ गाजै!
घूंघर छम छम छम छम बाजै![…]

» Read more

नाथजी रा सोरठा

जपतां जपतां जाप, आप बण गया औलिया।
पंड रा म्हारा पाप, नष्ट करौ अब नाथजी।१
तन रो कर तंबूर, मन वाणी मनमोवणी।
जोगी छेड जरूर, निज अंतर सूं नाथजी।।२
नीरमळ गंगा नीर, ऊजळ चित इम आपरो।
तिण सूं बैठौ तीर, नरपत न्हावण नाथजी।।३
पडूं तिहारै पाय, चरणां रो चाकर रखौ।
रीझौ हे गुरूराय, नुगरौ हूं घण नाथजी।।४[…]

» Read more

व्हाल ब्हावरी री गज़ल

सुपन री बातां निराल़ी है सजणवा!
आँख में जिण सूं दिवाल़ी है सजणवा!१
रात -राणी री महक रूं रूं रमंती,
डील ज्यूं फूलां री डाल़ी है सजणवा!२
ख्वाब वाल़ी नौकरी दीधी खरी थें,
रोज म्हारी रातपाल़ी है सजणवा!३ […]

» Read more

ज्वारडा! खम्मा घणी!ओ ठाकरां

तावडा ज्यूं क्यूं तपौ हो आकरा,
ज्वारडा! खम्मा घणी ओ ठाकरां!
बाजरी रो एक कण दीधा बिनां,
बोरियां भर बांटिया क्यूं काकरा!
छाल़ियां द्यो आज चरवा सीम में,
काल ले लिजौ भलां दुय बाकरा||

» Read more

गज़ल-कलम कागद लाव बीरा!

उठै मन में भाव बीरा!
कलम कागद लाव बीरा!
दूर बैठौ पोल़ में क्यूं,
आव घर में आव बीरा!
करे संको मती मन में,
सहज दे प्रतिभाव बीरा!
तान लय री छेड नें थूं,
गीत गज़लां गाव बीरा!
भाव है मोटौ ठिकाणौ, […]

» Read more
1 9 10 11 12 13 30