राधा रमण देव स्तुति

।।छंद सारसी/हरिगीतिका।।
जेहि नाम आधा, गयँद साधा, जल अगाधा, अंतरे।
जब जूड खाधा, करी हाधा, शरण लाधा, अनुसरे।
मिट गई उपाधा, चैन बाधा, बंध दाधा, धा करी।
जय रमणराधा, मित्र माधा, हरण बाधा, श्रीहरी।।1

वसुदेव द्वारे, देह धारे, भार टारे, भोमके।
सुरकाज सारे, संत तारे, द्वैषी मारै, होम के।
सुरपति हँकारे, मेघ बारै, ब्रज उगारै, गिरधरी।
जय रमणराधा, मित्र माधा, हरण बाधा श्रीहरी।।2[…]

» Read more

करै भळायां काज

जिण नवघण जिमाडियो,बाई दळां बळाज।
वा अनपूरण बिरवडा,मेहाई महराज॥153
भाले नवघण रे भली ,बाई रही बिराज।
सुगनचिडी बण मां स्वयं,मेहाई महराज॥154
भावनगर रा भूप रा,किया मात घण काज।
खोडल मां खुद है स्वयं,मेहाई महराज॥155 […]

» Read more

काफी

संत समागम कीजे

हो निश दिन …….. संत समागम कीजे
मान तजी संतन के मुखसे,प्रेम सुधारस पीजे।
अंतर कपट मेटके अपना,ले उनकूं मन दीजे।
भव दुःख टले बळे सब दुष्क्रीत,सब विध कारज सीजे।
ब्रह्मानंद कह संत की सोबत,जनम सुफल कर लीजे॥ […]

» Read more

शतक बणे वा सतसई

शतक बणे वा सतसई,ललित लेखणी काज।
सुरसत खुद भेजी स्वयं,मेहाई महराज॥ 105
शतक बणै वा सतसई,उणरी नी परवा ज।
म्है बस चाहूँ बोलणो,मेहाई महराज॥ 106
थळ जळ अर पातळ तथा,अतळ वितळ अधिराज।
सृष्टि सकळ संचालिका,मेहाई महराज॥ 107 […]

» Read more

उडै सदा आकास जिम

गुरुवर गणपत औ गिरा,म्हारी थूं सब मां ज।
इणसूं वंदन आपनें,मेहाई महराज॥1
एक रदन अर गज बदन,ह्रदय सदन मँह राज।
आखर लिखणा अंब रा,मेहाई महराज॥2
क्यूं गणपत वंदन करूं,जिणरी पण थूं मां ज।
गौरी रुप गिरिजा स्वयं,मेहाई महराज॥3 […]

» Read more

गमियो मूषक राज

गणाध्यक्ष गण राज रो, गमियो मूषक राज।
तद तव मंदिर आविया,मेहाई महराज॥97
कोई उणनें जद कह्यो,मूषक उठै घणाज।
देशाणै रे देवळे,”मेहाई महराज॥98
उछळ कूदता ऊंदरा,गजब देख गणराज।
मन मूंझ्या वां पण कह्यौ,”मेहाई महराज॥”99 […]

» Read more

तारा स्वरूपा आवड वंदना

।।शार्दूलवीक्रिडीत छंद।।
अंबा नीलसरस्वती त्रिनयनी, वन्दे शम्शानी परा।।
कैची खप्परणी विशाल खडगा, नीलांम्बुजं धारिणी।
कंठे हार भुजंग व्याल वलया,तन्वी जया तारिणी।
श्रीमद्एकजटाशिरा नमन मां,श्यामा तनु आवडा॥1

ऐं ह्रीं श्रीं शुभ क्लीं हुं उग्र तरला, कापालिका मंगला।
कंकाली नरमुंडमाल धरिणी, शक्ति स्वरूपा भवा।
वामाखेपवशिष्ठ आदिजननीं, हुंकारिणी,चित्परा।
तारा वंदन कालहंती वरदा, मां आवडा शारदा॥2[…]

» Read more

काली रूप आवड वंदना

छंद सारसी
क्रां भद्रकाळी, क्रीं कृपाळी, क्रूं कराली, कालिका।
मां मुण्डमाळी, डं डमाली, वपु विशाळी, ज्वालिका।
जय जगतपाली, वृद्ध बाली वेश भाळी मावडा।
काली कराली, वदन वाली, अस्थिमाली, आवडा॥1
समसान वासी, अट्टहासी, वपुअमासी, कज्जला।
प्रति पल पिपासी, पुंज राशी, भव्य भासी, चप्पला॥
मेटो उदासी, हिये वासी, फँस्यौ फासी, डावडा।
काली कराली, वदन वाळी, अस्थि माळी, आवडा॥2 […]

» Read more

मां मोगल मछराळ

शीश नमाऊं शारदा, सुमरू देव सुण्डाळ।
जस बरणूं जगतंब रो, मां मोगल मछराळ।।1
ओखा धर जनमी उमय, ईहग बरण उजाळ।
तिहू लोकां तारण तरण, मां मोगल मछराळ।।2
आवे जद अबखी बखत, करकश घूमे काळ।
उण पळ अम्ब उबारणी, मां मोगल मछराळ।।3

» Read more

मां मोगल मछराळ

वरदे वीणा वादनी, बसजै ह्रदय विशाळ।
कीरत आई री कथूं, मां मोगल मछराळ।।१
समद समीपां सोहती, बीस भुजी विकराळ।
तनें नमन तारण तरण, मां मोगल मछराळ।।२
ओखा री आणंद घन, वंदन बीस भुजाळ।
सबळ निबळ री स्वामिनी, मां मोगल मछराळ।।३
साद सुणंता शंकरी, तीजी आवै ताळ।
झटप बाज जिम जोगणी, मां मोगल मछराळ।।४[…]

» Read more
1 17 18 19 20 21 30