आखर रो उमराव – सोरठिया गज़ल
आखर रो उमराव,अवस कवि सुण आशिया।
समपै लाख पसाव, अवस कवि सुण आशिया।
दाखत दोहा छंद, गज़ल गीत कहतौ गज़ब।
भरने उरमें भाव, अवस कवि सुण आशिया॥
गीत दोहरा छंद, ह्रदय भाव बेकार है ,
गैला रो औ गांव,अवस कवि सुण आसिया॥ […]
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आखर रो उमराव,अवस कवि सुण आशिया।
समपै लाख पसाव, अवस कवि सुण आशिया।
दाखत दोहा छंद, गज़ल गीत कहतौ गज़ब।
भरने उरमें भाव, अवस कवि सुण आशिया॥
गीत दोहरा छंद, ह्रदय भाव बेकार है ,
गैला रो औ गांव,अवस कवि सुण आसिया॥ […]
आती उतालीह, ताळी सुण तीजी श्रवण ।
करणी करुणाळीह, बिरुदाळी सोचो बिरद॥1
बेगी चढ बबरीह, जबरी आई न जोगणी।
जबरी जेज करीह, कफरी वेळा करनला॥2
गरब अधम गरणीह,हरणी अनहद अर अर्यां।
हे उजळ बरणीह,कर करुणा अब करनला॥3 […]
बरसी काळी बादळी, हरसी धरा अनंत।
दरसी हरियल ओढणे, सुंदर सी गुणवंत॥
सुंदरसी गुणवंत, गोरडी सज धज बैठी।
आभा जेण अनंत, सरस नरपत मन पैठी।
हरियल भाखर तणी, कंचुकि धारण करसी।
धरती आभा पीव, काज जद बादळ बरसी॥
कविते! मैं सजदा करूँ
कविते ! तुझको क्या कहूँ, छुई मुई या और ।
मन में गहरी पैठ कर, फिर फैलाती छोर ॥1॥
कविते ! तुझको दूँ सजा, आ मन की दहलीज़।
आज चाँद है ईद का, कल आषाढी बीज ॥2॥
कविते ! तुम कमनीय हो, कोमल है तव गात ।
आ फूलों से दूँ सजा, हँसकर कर ले बात ॥3॥
कविते ! तुम ही प्यार हो, तूँ ही जीवन सार ।
अलंकार रस से सजे, पहने नवलख हार ॥4॥
कविते ! तनिक दुलार दे, कर ले मुझसे प्यार ।
तेरे बिन तो फूल भी, लगते हैं अंगार ॥5॥[…]
इब्ने-बतुता की तरह, यह कविता की प्यास।
भाव विश्व से हो शुरू,चली मनोआकास॥1
मन मोरक्को में मिला, उस को एक फकीर।
बोला खोजा शब्द मैं, पाले कविता हीर॥2
छंदोलय के ऊंट पर, लाद दिया सामान।
इब्ने बतुता उड चला, राह बडी अन्जान॥3 […]
दोहा थानें साधवा, करतो जतन करोड।
रीझ छंद रा-राजवी, कहूं हाथ द्वयजोड॥1
मंतर लय रा मारतो, जागूं निश अर भोर।
दोहा अम पर रीझझै, रे छंदों सिरमोर॥2
दोहा जो थूं हा कहै, तौ लिख दूं कुछ ओर।
पुत्र वरद पिंगळ प्रखर, कविता-काळज-कोर॥3 […]
आवो तो जावो मती, नैणां रहौ नजीक।
गरथ गांठ जिम बांध लूं, बिछुडण री नह बीक॥1
जावण ! री जचती नहीं, मनभावण मनमीत।
सावण में दामण सदा, सँग घन रहै नचीत॥2
जावौ दूर दिसावरां, ठाकर बात न ठीक।
चाकर री चिंता करो, आछी नहीं उडीक॥3 […]
🌺छंद रेणकी🌺
आतप मँह छाय करे जन जन औ, रुत पावस सिर त्राण करे।
शुभ पवन सुबांटत शीतल सुंदर, विहग सदा जिण पर विहरे।
दिल सूं उपकार करे वह हरदम, जिणरो सभी बखाण करे।
रिषिवर धर रूप अनूपम तरुवर, कायम जग कल्याण करे॥1
तीरथ सरवर वळ ताल नदी तट, वट गुलर अस्वत्थ वळे।
बिच ओरण केर बोर बण ओपत, जंगळ गिर पर जोत जळे।
करता बहु नीड विहग घण कलरव, इसडो कुण उपकार करै।
रिषिवर धर रूप अनूपम तरूवर,कायम जग कल्याण करे॥2 […]
ह्रदय- कोटडी हे सखी!, जाजम नेह जमाव।
आखां तणा अफीम रो, हाकौ करै बुलाव॥1
नैणां तणा खरल्ल में, सैण नेह रस घूंट।
पछै अमल पा प्रेम सूं, लेय काळजौ लूंट॥2
करै पलक री गाळणी, खरल नेह रस घोळ।
अमल पिवाडो आंख सूं, पीतम थें मन -पोळ॥3 […]
म्है खत थांनै आज लिखूं सा।
मत व्हैजो नाराज लिखूं सा।
कदे शिकायत थें मत कीजो,
घणै मान सूं राज लिखूं सा।
थांरी सूरत रा हेताळू,
अजब गजब अंदाज लिखूं सा।
मन री बातां खोल बतासूं
खरा ज आखर आज, लिखूं सा।[…]