डिंगल फेशन – कवि भंवरदान गढवी “मधुकर”

इण पढ्यो लिख्यो री पंगत में, जुनोड़ा आखर कुण जांणे।
नखरा कर नये जमांने रा, तिरछी हद रागां लो तांणे।।
जा जोर तमासा कर जितरा, जोवे जनता मन जोकरिया।
वाजे आधुनिक वायरियो, डिंगल फेशन कर डोकरिया।।१
ऊचे शब्दां रा अरथ करे, वो कूंत करणिया रैया कठे।
जुनी भाषा ने जांणणिया, अब देख किता सच कया अठे।।
तड़का बाजे लै ताड़ी रा, हाका कर लड़का होकरिया।
वाजे आधुनिक वायरियो, डिंगल फेशन कर डोकरिया।।२[…]