प्रहास शाणोर बिरखा रो

प्रहास शाणोर बिरखा रो
उरड़ियो आज उतराध सूं ऐरावतपति
खरै मन उमड़ियो बहै खातो।
गहरमन नाज अगराजतो घुमड़ियो
मुरड़ियो काल़ रो देव माथो।।1

» Read more

बारहमासा – भाव नगर कविराज पिंगल शी पाता भाई नरेला

।।छंद त्रिभंगी।।

आषाढ ऊच्चारं, मेघ मलारं, बनी बहारं जलधारं।
दादुर डकारं, मयुर पुकारं, सरिता सारं विस्तारं।
ना लही संभारं, प्यास अपारं, नंद कुमारं निरधारी।
कहे राधे प्यारी, मैं बलिहारी, गौकुळ आवो गीरधारी !!

» Read more

दो गजलां – आंधी अर बादल़ा

मुरधर रमवा आवै आंधी।
बल़-कल़ आप बतावै आंधी।
फूस बुहारी करै फूठरी।
थल़ रो रूप सजावै आंधी।।
थल़ियां -थल़ियां हीमत देखण।
तीर! रावड़िया बावै आंधी।।
धूड़ गैंतूल़ा चहुंदिस करिया
निरमल़ नभ में छावै आंधी।। […]

» Read more

जल संरक्षण बाबत सवैया – कवि वीरेन्द्र लखावत कृत

आप बचाय लहो इतरौ जळ जा सूं बचै सब री जिन्दगाणी।
नेह सूंमेह रौ नीर घरै संचय करणा री सबै समझाणी।
पालर पाणी री एक एक बूंद रौ लेखौ लियां ई बचैला पाणी।
होद बणा हर एक ई आंगण मांगण री मत राख मचाणी ।।[…]

» Read more

खेजड़ी

हे खेजड़ी !
मरूधर री कल़पतर
मिंमझर रो ओढ पोमचो
मनच्छापूर्ण देवी ज्यूं।
कर सिंणगार
मिंमझर सूं हो लड़ाझूम
मोहती संसार!
नखराल़ी नार ज्यूं
पील़ी हुल़क हो तूं
देती झालो पलै रो […]

» Read more

गुलाब लाजवाब है

छंद नाराच

हरी हरी ज पांनडी लगे घणी सुहावणी।
कळी फबै है फूटरी मनां तनां लुभावणी।
पणां सँभाळ कंटकां इ’रा घणा खराब है।
लख्यौ ललाम लाल वो गुलाब लाजवाब है॥1

कळी कळी महेकती गळी गळी सुबास है।
सुगंध चारू कूंट में हरेक रो औ खास है।
जणां जणां मनां तणो रिझावणौ जनाब है।
लख्यौ ललाम लाल वो गुलाब लाजवाब है॥2 […]

» Read more

बरसी काळी बादळी

बरसी काळी बादळी, हरसी धरा अनंत।
दरसी हरियल ओढणे, सुंदर सी गुणवंत॥
सुंदरसी गुणवंत, गोरडी सज धज बैठी।
आभा जेण अनंत, सरस नरपत मन पैठी।
हरियल भाखर तणी, कंचुकि धारण करसी।
धरती आभा पीव, काज जद बादळ बरसी॥

» Read more
1 2 3 4 5