तूं मंदर-मंदर भटक मती!!

तूं मंदर-मंदर भटक मती!
यूं हर आगल़ सिर पटक मती!
टांग मती अपणायत ऊंची!
भाव स्नेह रा गटक मती!!
आश लियां आवै विश्वासी!
देय निराशा झटक मती!!!
ग्यान-गहनता बातां रूड़ी!
पतियायां तूं कटक मती!![…]

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टकै-टकै मत बेच

मोत्यां मूंघो माण जगत में
अर मोत्यां री कीमत भारी।
टकै-टकै मत बेच बावळा, आ जिंदगाणी लाख टकां री।।

लख चौरासी भटक बितायां
मिनख जूण रो मोको आवै।
करम देख करतार पूरबला
करमां सारू काज भुळावै।।
कर करणी भंूडी या सखरी
बही लिखीजै बंदा थारी।
टकै-टकै मत बेच बावळा, आ जिंदगाणी लाख टकां री।।01।।

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गीत जांगड़ो

सिमर रै सांमल़ियो साहेब,
वेद पुराण बतावै।
सुधरै अंत मिटै धुर सांसो,
संत सार समझावै।।1

पुणियां नाम कटै भव पातक,
सुणियां मल़-गल़ सारा।
चुणिया नाम कोट गढ चौड़ै,
पेख हुवा पौबारा।।2[…]

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बहू ढक्यां परिवार ढकीजै

च्यारां कानी धमा-धम बाजै। हेलाहेल कर्यां ई कोई नै सिवाय बीं धमचक रै कीं नीं सुणीजै। भयंकर तावड़ै में बळती चामड़ी पर पसीनो भी भाप बण’र उडज्यावै। अैड़ै-छेड़ै हेल्यां ई हेल्यां। कठै ई कोई खाली जाग्यां रो नाम ई कोनी। हरखियो बोल्यो भाइड़ा ईं शहर री गळ्यां-गूंचळ्यां में तो इत्ता फेर है कै आदमी तो कांई बापड़ी हवा नै ई गेलो कोनी मिलै। ईं वास्तै ई अठै इत्ती गरमी है। हरखियै री बात सुण’र अेकर सी सगळा मजदूरड़ा हँस्या पण ठेकेदार नैं आंवतो देख’र कीं बोल्यां बिनां ईं पाछा आप आपरो काम सळटावण में पिल पड़्या। ठेकेदार रो नांम भगवानो हो। बो बात रो पक्को अर खानदानी आदमी हो। ईं खातर बो फालतू री बाखाजाबड़ पसंद नीं करतो। बो तो सगळां नै आ ई कै राखी है कै जित्तो काम करो बित्ता दाम लेवो। काम नहीं तो दाम नहीं।[…]

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एतबार रखिए अवस

एतबार रखिए अवस, इस बिन सब अंधार।
रिसते रिश्तों के लिए, अटल यही आधार।।

एतबार पे ही टिके, घर-परिवार-संसार।
एतबार से ही बहे, रिश्तों की रसधार।।

प्रीति परस्पर है वहीं, उर-पुर जंह पतियार।
प्रीति अगर परतीति बिन, केवल मिथ्याचार।।

मन की तनक न मानिए, मन नाहक मरवाय।
मन के शक की मार से, एतबार मर जाय।।[…]

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खुद तो खुद सूं साचो बोल

खुद तो खुद सूं साचो बोल
सै सूं पैली खुद नै तोल,
खुद रै मन री घुन्ड्यां खोल,
औरां सूं तो झूठ भलांई
खुद तो खुद सूं साचो बोल।
मन री सगळी घात बता तूं,
प्रतिघाति हालात बता तूं,[…]

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ठा पड़सी बींदणी उठाण्यां

अेकर अेक गाम में अेक सेठजी हा। सेठजी घणां धनवान ई कोनी हा अर रूपवान तो बिल्कुल ई कोनी हा। हा जिकां में ई अेक आंख री सोझी जाती री इणसूं लोग काणियों काणियों करण लागग्या। बांणियै रो बेटो। पांच रिपिया कमावण खावण री लकब ली। घरबार तो ठीक ठाक चालै पण ब्याव रो कोई गेलो बैठ्यो कोनी। च्यारां कानीं हाथ-पांव मार धाप्या पण कोई आपरी बेटी इण काणै अर कुरूप सेठ नैं देवण सारू त्यार नीं। कोई बाप जे करड़ी छाती कर’र सगपण री बात चलावै तो आड़ोसी-पाड़ोसी पार कोनी पड़ण द्यै। बात चलावतां ई लुगायां रा टुणकला त्यार। ईं नांव तो छोरी नैं बोडि़यै कूवै में न्हाख देता। सूओ सी छोरी नैं काणैं रींछ लारै कियां करीजै। इणनैं परणावण सूं तो आछो कै कंठ मोस’र मारद्यो बेटी नैं। इयांकली बातां सुणतां कोई गिनायत त्यार कोनी हुयो। […]

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गीत वेलियो-दारू रै ओगण रो

सरदी लग्यां पीजो मत सैणां,
निज भर रम रा घूंट निकाम।
तवै छमक पाणी पी तातो,
ओढ सिरख करजो आराम।।1
दारू पियां लागसी देखो,
जोर अहम रो वहम जुखाम।
मिटसी नहीं किणी पण मारग
नाहक ही होसो बदनाम।।2[…]

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घड़ा लीवी पण जड़सी कुण

अेकर अेक गाम में कुत्तां री भरमार होगी। गळी-गळी में गंडकां रा टोळा फिरै। चावै जिकै घर में मौको लागतां ई गंडकां री डार आ बड़ै अर लाधै ज्यांनैं ई चट कर ज्यावै। लोगां आप आपरै घरां रै किंवाड़ लगा लिया। अेक दो आळसी हा बां ई दौरा-सौरा किंवाड़िया लगा’र गंडकां सूं गैल छुडावण रो जतन कर्यो। सगळै घरां रै किंवाड़ देखतां ई कुत्तां मिटिंग करी अर फैसलो लियो कै भाई अबै इण गाम में आपणी पार कोनी पड़ै। कठैई दूजी जाग्यां देखां।[…]

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हिम्मत मत ना हार मानवी – गजल – कवि गिरधारी दान बारहठ (रामपुरिया)

हिम्मत मत ना हार मानवी
कर लै खुद सूं प्यार मानवी।
थारै उठियां ही थरकैला,
आतंक-अत्याचार, मानवी।
करम किये जा फल री चिंता,
मन मांही मत धार मानवी।
दिल में जिण रै देश बसै ना,
भूमी पर वै भार मानवी।[…]

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