रल़ियाणो राजस्थान जठै

रंग बिऱंगी धरा सुरंगी, जंगी है नर-नार जठै।
सदियां सूं न्यारो निरवाल़ो, रल़ियाणो राजस्थान जठै।

रण हाट मंडी हर आंगणियै, कण-कण में जौहर रचिया है।
पल़की बै ताती तरवारां, भड़ वीरभद्र सा नचिया है।
वचनां पर दैवण प्राण सदा, जुग-जुग सूं रैयी रीत अठै।
रल़ियाणो राजस्थान जठै।।1[…]

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दुख का कारण नहीं बनेंगे

जो हरदम आगे रहते हैं,
आगे ही शोभा पाते हैं।
वो एक कदम भी रुक जाएं,
तो सब राही रुक जाते हैं।।

मंजिल को पाना मुश्किल है,
उसूल निभाना और कठिन।
सुख के तो अनगिन साथी हैं,
हैं असल परीक्षक दुख के दिन।।[…]

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डीडवाना की गै’र

हाकम की होली, दिल-देहरी रंगोली,
खेले रसियां की टोली, लिए हाथों ही में चंग है।
बाजत मृदंग, थेई-थेई-ता-ता-थ्रग,
मिल करे हुड़दंग, वाको नाचे अंग-अंग है।
डोलची को पानी, लागे पीठ या पेशानी,
जातें याद आवै नानी, दुनी देख-देख दंग है।
कहे “गजादान”, आओ देखने को डीडवाना,
डोलची की गै’र, मेरे शहर की उमंग है।।[…]

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कल़ायण !

धरती रौ कण-कण ह्वे सजीव, मुरधर में जीवण लहरायौ।
वा आज कल़ायण घिर आयी, बादळ अम्बर मं गहरायो।।

वा स्याम वरण उतराद दिसा, “भूरोड़े-भुरजां” री छाया !
लख मोर मोद सूँ नाच उठ्यौ, वे पाँख हवा मं छितरायाँ।।

तिसियारै धोरां पर जळकण, आभै सूँ उतर-उतर आया।
ज्यूँ ह्वे पुळकित मन मेघ बन्धु, मुरधर पर मोती बरसाया।।[…]

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हे गाँव, तुझे मैं छोड़ चला

था एक दिवस जब तेरे इस आँगन में फूली अमराई !
था एक दिवस जब मेरे भी मन में झूमी थी तरुणाई !
पीपल की फुनगी पर बोली, पंचम स्वर में कोयल काली !
मादक मधु-ऋतु के स्वागत में, कोसों तक फैली हरियाली !
पावस की मतवाली संध्या, आती अम्बर से उतर-उतर !
उन खेतों की पगडंडी पर, वह बैलों की घंटी का स्वर ![…]

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मनवा मत कर बेड़ी बात

मनवा मत कर बेड़ी बात, बात में नाथ बिसर जासी।
नाथ बिसर जासी, हाथ सूं हेम फिसळ जासी।।टेक।।

हर सुमरण करतां हेताळू, (वो) संकट-टाळू साथ।
प्रतख एक वो ही प्रतपाळू, दीनदयाळू नाथ।।01।।
मनवा मत कर….

धीज पतीज धणी वो देसी, रीझ घणी रघुनाथ।
बिगड़ी बात स्यात में बणसी, साची कथ साख्यात।।02।।
मनवा मत कर—–[…]

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रे धोरां आळा देस जाग

धोराँ आळा देस जाग रे ऊँटाँ आळा देस जाग।
छाती पर पैणा पड़्या नाग रे धोराँ आळा देस जाग।।

उठ खोल उनींदी आँखड़ल्यां नैणाँ री मीठी नींद तोड़।
रे रात नहीं अब दिन ऊग्यो सपनाँ रो कू़डो मोह छोड़।।
थारी आँख्याँ में नाच रह्या जंजाळ सुहाणी रातां रा।
तूं कोट बणावै उण जूनोड़ै जुग री बोदी बातां रा।।
रे बीत गयो सो गयो बीत तूं उणरी कू़डी आस त्याग।।
छाती पर पैणा पड़्या नाग रे धोराँ आळा देश जाग।।१।।[…]

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सत पथ

हर इक मोड़ गली चौराहे, रावण का ही राज यहां।
विध-विध रूपाकारी दानव, है जिनके सिर ताज यहां।
राम नाम तो यहां समझलो, लाचारी का सौदा है।
ईमान-धर्म इन सबसे बढ़कर, या पैसा या ओहदा है।
कलयुग पखी राह रावण की, जिन भरमाए भले-भले।
उस पथ पर चलना अति मुश्किल,जिस पर श्री रघुनाथ चले।

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हम भारत के युवा

विश्वधरा पर ज्ञानदेव के सबसे बड़े पुजारी हैं।
हम भारत के युवा हमारी, मेधा सब पर भारी है।।

सागर से गहराई सीखी, हिमगिरि से दृढताई सीखी।
नदियों से हिलमिल कर चलना, फूलों से तरुणाई सीखी।
तारों से मुस्कान, दीप स,े कर्म दृष्टि उद्दात मिली है।
भारत भू के इक-इक कण से, साहस की सौगात मिली है।
वीर शिवा के वंशज हैं हम, शक्ति शौर्य हमारी है।
हम भारत के युवा हमारी, मेधा सब पर भारी है।।[…]

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किणनैं दरद सुणाऊं कान्हां

किणनैं दरद सुणाऊं कान्हां, किण आगळ फरियाद करूं।
कुणसै कांधै सिर धर रोऊं, कह दै किणनैं याद करूं।।
किणनैं दरद सुणाऊं कान्हां…………।।

बूढापै री लाठ्यां म्हांरी, अेक नहीं है तीन मुरारी।
जाझै जतनां करी करारी, तीनां री शोभा हद भारी।
तीनूं तेल पियोड़ी ताजी, जिणरै हाथ लगै सो राजी।
रिच्छा राड़ दोनां में रूड़ी, कोनी म्हारी आ कथ कूड़ी।
पण म्हारै हित आज माधवा, परतख तीनूं तीन पराई।
हाथ घालतां फांस गड़ै है, खपत करंतां खाल बचाई।
सांस-सांस रै संग सांवरा, सुबक-सुबक कर साद करूं।
किणनैं दरद सुणाऊं कान्हां…………।।[…]

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