🌹सरस्वती वंदना🌹- कवि स्व अजयदान जी लखदान जी रोहडिया
🌹छंद नाराच🌹
घनान्धकार नाशिनी विनाशिनी विमूढता।
प्रज्ञा प्रदायिनी प्रकाश वर्धनी प्रगूढता।
हरि हरादि पूजिता, विरंचि वंदिता अति।
प्रसन्न हो प्रयच्छ बुद्धि स्वच्छ मां सरस्वती।। १
Charan Community Portal
🌹छंद नाराच🌹
घनान्धकार नाशिनी विनाशिनी विमूढता।
प्रज्ञा प्रदायिनी प्रकाश वर्धनी प्रगूढता।
हरि हरादि पूजिता, विरंचि वंदिता अति।
प्रसन्न हो प्रयच्छ बुद्धि स्वच्छ मां सरस्वती।। १
छंद सारसी
अन्नपूर आई चक्खड़ाई, तूं सदाई सेवियां।
बातां बधाई बह बडाई, दख सवाई देवियां।
नरपत नमाई इम अथाई, पहुम बाई परवड़ी।
निज सुजस जाहर चढै नाहर, बणै वाहर बिरवड़ी।। 1 […]
चारण देवी उपासक। भैरूं देवी रो आगीवाण सो चारणां रै भैरूं रो जबर इष्ट। चारण भैरूं नैं मामै रै नाम सूं अभिहित करै। मामै रै भाणजा लाडैसर सो घणै चारणां नैं भैरूं रै सजोरै परचां रो वर्णन किंवदंतियां में सुणण नैं मिल़ै। ऐड़ो ई एक किस्सो सींथल़ रा वीठू चारण नारायणसिंह मूल़ा रो है। मध्यकाल़ री बगत सींथल़ रै मूल़ां रै वास में मानदान अर नारायणसिंह दो भाई हा। नारायणसिंह रो ब्याव बूढापै में होयो। घर में कोई खास सरतर नीं हो पण इणां रै गोरै भैरूं रो घणो इष्ट। एकर मेह वरसियो पण हलोतियै रो कोई साधन नारायणजी कनै नीं। उणां गोरै रै थान में जाय धरणो दियो।[…]
» Read moreकोउ करत उपवास, कोउ अन खात अलूणा|
कोउ खात फल कंद, कोउ बोलत कोउ मूना|
कोउ ठाडे तप करत, कोउ ऊंधै सिर झूलत|
मन क्रत कूं सत मान, मोख मारग से भूलत|
वासना ह्रदय त्यागे बिना, विफल करत बनवास है|
कहै ब्रह्ममुनि हरि प्रगट बिन, सब माया के दास है||१ […]
🌸छंद त्रिभंगी🌸
जय नाथ निरंजन,भव दुख भंजन,जन मन रंजन,जग त्राता|
जय काम निकंदन,वर सुर वंदन,धर्म सुनंदन,दो भ्राता|
जय महितल मंडन,खल बल खंडन,विषय विखंडन,बनवासी|
जय स्हायक संतन,काल निक्रंतन,आद न अंतन ,अविनासी||१ […]
वराह अवतार धार इल़ रदनं, वार सुरां हरसार बणै।
वसुधर तण भार उतारण, विठ्ठल़ हाथ धार हिरणाख हणै।।
जय जय सुर जाप जपै जगतारण, भू भय हारण तुंही भयो।
नामी नवखेल रचै घणनामी, जगजामी जगदीश जयो।।
जयो जगतारण जगन्नाथ जयो।।३
आज बिरज में धूम है, जन जन करे धमाल।
फागुन छाया है सखी!, बरसे लाल गुलाल।।१
गोरी गोरे गाल की, जिसके नैन विशाल।
उससे होली खेलता, नागरिया नंद लाल।।२
सिर पर छोटी बेंदुली, चमके जिसका भाल।
उससे होली खेलता, नागरिया नँदलाल।।३
बातें मिसरी की डली, लगती मोहनथाल।
उससे होली खेलता, नागरिया नंद लाल।।४
आँखें है जादूगरी, नेह नीर के ताल।
उससे होरी खेलता, नागरिया नंद लाल।।५[…]
परथम अजर अमर अपरमरा
जररा जरण भगतरा जोर
नररा नंग नागरा नाथण
नमो निगमरा अणगम नोर
खळरा दळण लंकरा खेधण
कळरा अकळ कंसरा काळ
गिरिरा धरण मोहरा गाळण
प्रमरा अप्रम प्रजारा पाळ […]
।।छंग – चर्चरी / चंचरीक।।
इक निशि ससि अति उजास, प्रौढ शरद रूतु प्रकास,
रमन रास जग निवास, चित विलास कीन्है।
मुरली धुन अति रसाल, गहरे सुर कर गुपाल,
तान मान सुभग ताल, मन मराल लिन्है।
ब्रह्मतिय सुन भर उछाव, बन ठन तन अति बनाव,
चितवत गत नृत उछाव, हाव भाव साचै।
हरि हर अज हेर हेर, बिकसित सुर बेर बेर,
फरगट घट फेर फेर, नटवर नाचै।।१[…]
🌸छंद रेणंकी🌸
सर सर पर सधर अनर तर अनुसर,कर कर वर घर मेल करे|
हरि हर सुर अवर अछर अति मनहर,भर भर अति उर हरख भरे|
निरखत नर प्रवर प्रवर गण निरजर,निकट मुकुट सिर सवर नमें|
घण रव पट फरर फरर पद घुंघर, रंग भर सुंदर श्याम रमें| १
झणणणण झणण खणण पद झांझर,गोम धणण गणणण गयणे|
तणणण बज तंत ठणण टंकारव,रणणण सुर धणणण रयणे|
त्रह त्रह अति त्रणण घणण अति त्रांसा,भ्रमण भमरवत रमण भमें|
घण रव पट फरर फरर पद घुंघर, रंग भर सुंदर श्याम रमें| २ […]