परित्यक्ता / पुनर्मिलन – कवियत्री छैल चारण “हरि प्रिया”

।।परित्यक्ता।।

उर में अति अनुराग सखी,
विरह की मीठी आग सखी!!
नयन भटकते दूर दूर जब
आँगन बोले काग सखी !!
अपनी ही सांसों में दो रुत,
लख कर जाती जाग सखी!![…]

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बालक हूं बुद्धू मत मानो

इक दिन उपवन में आयुष जब,
घूम रहा था मस्ती करता,
कलियों-पुष्पों से कर बातें,
कांटों पर गुस्सा सा करता।

तभी अचानक उसके कानों,
इक आवाज पड़ी अनजानी,
बचा-बचाओ मुझे बचाओ,
बोल रही थी कातर बानी।[…]

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बुद्धि के दाता:गणपति

हुई जब हौड़ नापे कौन जग दौड़,
सारे काम धाम छोड़ बड़े भ्राता बोले ध्यान दे।
मूषक सवार देख धरा को पसार,
तो से पड़ेगी ना पार क्यों न खड़ी-हार मान ले।
एकदंत एकबार कर ले पुनः विचार,
छोड़ अहंकार याके सार को तु जान ले।
‘शक्तिसुत’ षडानन-गजानन बीच ऐसे,
हुई थी जो हौड़ वाको कहूँ सुनो कान दे।।[…]

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छात्रसंघ-निर्वाचन

नेतृत्व का चयन प्रबंधन,
की प्रामाणिक धूरी है।
कैसे कह दें छात्रसंघ, निर्वाचन गैर जरूरी है।

कोई भी हो तंत्र तंत्र का,
अपना इक अनुशासन है
अनुशासन के लिए तंत्र में
अलग-अलग कुछ आसन है।
आसन पर आसीन कौन हो,
इसकी एक व्यवस्था है।
जहाँ व्यवस्था विकृत-बाधित,
हाल वहीं के खस्ता हैं।
साँप छोड़ बाँबी को पीटे,
समझो अक्ल अधूरी है।
कैसे कह दें छात्रसंघ, निर्वाचन ग़ैर-जरूरी है।[…]

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दादाजी (बालकाव्य)

दादाजी का कमरा जिसमें बच्चे मौज मनाते हैं।
नित्य नई बातें बच्चों को, दादाजी बतलाते हैं।

इक दिन दादाजी ने बोला, आज पहेली पूछूँगा।
जो भी उत्तर बतलाएगा, उसको मैं टॉफी दूँगा।

गणित विषय का ज्ञाता है वो, झटपट जोड़ बताता है।
घर बैठे हमको दुनियां की, सरपट सैर कराता है।
नाम बताओ उसका है जो, टीचर गाईड ओ ट्यूटर।
सारे बच्चे बोल उठे वो, अपना प्यारा कम्प्यूटर।।
वाह बेटा वाह वाह वाह जी, बोल उठे यूँ दादाजी।
हम बच्चों से बातें करके, होते राजी दादाजी।[…]

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दौरेजहाँ का दर्द

ये षड्यंत्री दौर न जाने,
कितना और गिराएगा।
छद्म हितों के खातिर मानव,
क्या क्या खेल रचाएगा।

ना करुणा ना शर्म हया कुछ,
मर्यादा का मान नहीं।
संवेदन से शून्य दिलों में,
सब कुछ है इंसान नहीं।।[…]

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शिक्षक

सोचो उस दिन देश का, होगा कैसा हाल।
शिक्षक ने गर छोड़ दी, नेकनियति की चाल।।

सतयुग से कलियुग तक देखो, ये इतिहास गवाही देता।
शिक्षक हरदम देता रहता, बदले में कब कुछ भी लेता।।

अपने शिष्यों के अंतस में, जिसकी छवि अभिराम है।
ऐसे शिक्षक के चरणों में, कोटि-कोटि प्रणाम है।।

सच को सच कहने की हिम्मत,जो रखता है वह शिक्षक है।
झूठ-कपट से सच्ची नफरत, जो रखता है वह शिक्षक है।।

संस्कारों की फसल उगाता, यह धरती का लाल अनूठा,
पतझड़ में बासंती फितरत, जो रखता है वह शिक्षक है।।[…]

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जाग -जाग रै वोटर जाग!

मतदातावां नै समर्पित
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जाग-जाग रै वोटर जाग!
सो मत रै भारत रा भाग!!
इतरा वरस आऴस मे़ं खोया!
खोटा मिणिया माऴा पो।
भारत री तकदीर बदऴदे,
वांनै अज तक क्यूं नीं जोया?[…]

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बोधिसत्व री मैत्रीभावना

।।बोधिसत्व री मैत्रीभावना।।

भूखा खाली पेट पकड़ियां,
है सोवण हित मजबूर जका।
तिस मरता पाणी बिन रोवैै,
तड़पैै है बिना कसूर जका।

धीरज छूटण सूं पैली ही,
कछु हाय! इसी जे बण पावै।
प्यासोड़ा ठंडो जळ पीवै,
भूखोड़ा भोजन पा जावै।[…]

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